इस रामनवमी पर दो मुक्तक और "कलम आज कुछ ऐसा लिख" सीरीज का नया पुष्प, प्रभु श्रीरामके चरणों में समर्पित!
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हे राम! तुम्हारी धरती मां,
फिर से है तुम्हें पुकार रही!
रामत्व तुम्हारा याद इसे,
आशा से तुम्हें निहार रही!!
मानवता करती त्राहि त्राहि,
दानवता फिर हुंकार रही!!
कोदंड धनुष पर रामबाण ,
संधानो , राह निहार रही !!
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कलम आज कुछ ऐसा लिख!
राम अवतरण जैसा लिख !!
आज अयोध्या पुण्यभूमि लिख,
तट सरयू के जैसा लिख!!
कलम आज कुछ ऐसा लिख!
मध्य दिवस का सुखद समय हो,
तिथि, नवमी भी मंगलमय हो,
लग्न कर्क हो , पुनर्वसू हो,
सब ग्रह शुभ हों ऐसा लिख!!
कलम आज कुछ ऐसा लिख!!
सूर्य, शुक्र,शनि,मंगल,ग्रह गुरु,
सभी उच्च हो, लग्न चंद्र ,गुरु!
ज्योतिष के शुभ योग सभी ये,
आज सफल हों ऐसा लिख!!
कलम आज कुछ ऐसा लिख!
आज प्रकृति श्रृंगार कर रही,
वायु सुखद गुंजार कर रही!
सृष्टि प्रतीक्षा स्वयं कर रही,
वो पल आए ऐसा लिख!!
कलम आज कुछ ऐसा लिख!!
कौशल्या का कक्ष अचानक,
ज्योतिर्मय हो गया अचानक!
तेज पुंज पर दृष्टि न ठहरे,
कोटि सूर्य के जैसा लिख!!
कलम आज कुछ ऐसा लिख!!
फिर उस अनुपम तेजपुंज में,
ज्योत्सना के महाकुंज में,
परम पुरुष वे चतुर्भुजी हो,
स्वयं प्रकट हों ऐसा लिख !!
कलम आज कुछ ऐसा लिख!!
बाल रूप की कांति मिली जब,
मां के मन को शांति मिली तब,
जगत नियंता बालरूप में,
मिला पुत्र बन ऐसा लिख!!
कलम आज कुछ ऐसा लिख!!
श्रीहरि बाल रूप में प्रकटित,
धरती हर्षित,जग आनंदित!
दर्शन पा सब देव प्रफुल्लित,
जीवन धन्य हुआ ऐसा लिख !!
कलम आज कुछ ऐसा लिख!!
त्रेता बीता , द्वापर बीता,
एक चरण कलयुग का बीता,
धरती करती त्राहिमाम फिर,
प्रभु फिर प्रकटें ऐसा लिख!!
कलम आज कुछ ऐसा लिख!!
हो सुख शांति पुनः धरती पर,
स्वर्ग अवतरित हो धरती पर!
हर घर बने अयोध्या जैसा,
रामराज्य हो ऐसा लिख !!
कलम आज कुछ ऐसा लिख!!
कलम आज कुछ ऐसा लिख!!
........ श्रीकांत त्रिवेदी लखनऊ
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