काव्य रंगोली आज का सम्मानित कलमकार प्रियांजुल ओझा

 नाम - प्रियांजुल ओझा

शिक्षा- स्नातक 2017- 18(इलाहाबाद विश्वविद्यालय); परास्नातक 2019- 20  ( जामिया मिल्लिया इस्लामिया विश्विद्यालय), संस्कृत विषय में द्विवर्षीय डिप्लोमा, तीन बार हिंदी में नेट उत्तीर्ण

सम्मान : मणिपुर की राज्यपाल आदरणीय नज़मा हेपतुल्ला द्वारा सम्मानित , प्रसिद्ध साहित्यकार अशोक वाजपेयी के  हाथों सम्मानित , बैंक ऑफ बड़ौदा मेधावी विद्यार्थी सम्मान से सम्मानित, कोटक महिंद्रा बैंक मेधावी विद्यार्थी सम्मान से सम्मानित , पंद्रह से अधिक अंतर- विश्वविद्यालयी एवं विश्वविद्यालयी वाद - विवाद तथा भाषण प्रतियोगिताओं में स्थान अर्जित करने पर सम्मान ।

लेखन : विभिन्न पत्र- पत्रिकाओं एवं सम्प्रेषण के अन्य आभाषी पटलों पर शोध आलेख तथा कविताएँ प्रकाशित हो चुकी हैं ।

निवासी : प्रयागराज

मोबाइल नं. 7309671510



प्यार लिखूं सृंगार लिखूं 

और लिखूं अनुराग

अधराधर पल्लव से

यही था तेरा गान..

कोमल हांथों से हाथों का

वो तेरा बंधन लिखूँ

या लिखूँ कातर दुःख में मेरे

तेरा प्रथम स्पर्श एहसास

छोंड़ कर अपनी कक्षा

मिडिवल में आकर

आंखों में तुम्हे बसाना लिखूँ

या लिखूँ सिविल लाइंस का

स्कूटी वाला प्यार

इन सब स्मृतियों को तज कर

निःस्वार्थ प्रेम का मित्रता लिखूँ

या लिखूँ लड़ना 

रूठना औ मनाना

इन सबसे भी बढ़ कर ..

वो तेरा संस्कृति- संस्कार

सद्व्यवहार और परिधान लिखूँ

या लिखूँ अपना सच्चा प्रेम,

आदर्श,प्रेरणा ,साधना औ सौभाग्य ।।


©प्रियांजुल ओझा



न जाने कब वो आएगी

करवा चौथ  मनाएगी

मेहंदी माहुर चुनरी बिंदी

औ कजरारी आंख सजायेगी

चाँद का अपने प्यारा मुखड़ा देख

न जाने कब वह  मुस्काएगी

अपने  मेहंदी वाले हाँथो से

व्यंजन खूब पकाएगी

खुद निच्छलता का व्रत रखकर

मुझको बड़े प्यार से खिलाएगी

न जाने कब वो आएगी

करवा चौथ मनाएगी


@प्रियांजुल ओझा "प्रिय"



: विश्व गौरैया दिवस विशेष: 


मन गौरैया गौरैया चिल्लाए

मेरे बच्चे इनको देख न पाएं

क्या  होती  ये ?

कैसी  होती ?

शिख पर कलगी होती ?

या मोर - सा लंबा पंख होता ?

ऐसी व्याकुलता भरा

मेरे बच्चों का प्रश्न होता....

अब क्या बतलाऊँ मैं इनसे

अपने हाथों से ही उनको मारा है

कभी न दिया दाना - पानी

औ वृक्षों से भी बसेरा उजाड़ा है...

चलो क्या हुआ !

संवेदना भले मरी हो मेरी

पर स्वार्थ लिप्सा अभी भी बाकी है

इसलिए मत कर मेरे बच्चे तू चिंता

मै तुझको गौरैया दिखलाऊँगा

चाहे पिंजड़े में ही बंद करके लाऊँ

पर मैं तुझको गौरैया दिखलाऊँगा ।


           ©प्रियांजुल ओझा


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