दूरियां मिटा कर सोचा लाओ हम भी प्यार कर लें
दबी हैं जो ख़्वाईसे लाओ हम भी इजहार कर लें
कुछ कहें,कुछ सुने,लाओ हमभी आँखेचार कर लें
दूरियां मिटा कर सोचा लाओ हम भी प्यार कर लें।।
बस,
ये नहीं सोच पाए कि बुरा अंजाम भी हो सकता है
ये नहीं सोच पाए कि इश्क़ बेकाम भी हो सकता है
ये नहीं सोच पाए कि बंदा गुलाम भी हो सकता है
ये नहीं सोच पाए कि बंदा बदनाम भी हो सकता है।।
गर सोचनें में व्यस्त होते तो क्या कभी इश्क़ करते
गर सोचनें में व्यस्त होते विरहाअग्नि में क्यों जरते
गर सोचनें में व्यस्त होते क्या कभी हम खाई भरते
गर सोचनें में व्यस्त होते तो जानबूझ कर क्यों मरते।।
हमनें सोचा आओ हम भी बातें कुछ बेकार कर लें
दूरियां मिटा कर सोचा लाओ हम भी प्यार कर लें।।
©️सम्राट की कविताएं
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