परिचय:
* सुवर्णा अशोक जाधव
* मोबाइल: 9819626647
* ईमेल: goldanj@gmail.com
* माजी वरिष्ठ सहायक संचालक, व्यवसाय शिक्षा विभाग,
* शिक्षा-एम ए, एम फील (हिंदी), एम ए (मराठी), एमबीए (एच आर), हिंदी अनुवाद पदविका, DLL & LW
* पता -हंसमणी सोसायटी ब्लॉक नंबर बावीस सर्वे नंबर 132/ए , दांडेकर ब्रीज पेट्रोल पंप के पिछे सिंहगड रोड पुणे411030
* साहित्य- हिंदी "शिकायत" कविता संग्रह और मराठी में सय, सखी, आरसा कविता संग्रह प्रकाशित, "रंग जीवनाचे" मराठी लेख संग्रह प्रकाशित। मरवा चारोली संग्रह प्रकाशित। विविध पत्रिकाओ में लघुकथा प्रकाशित।
दिवाली अंक में मेरे द्वारा ली गई मुलाकातें प्रकाशित ( ओमप्रकाश सहगल, सुरुचि सुराडकर, प्रिया कालिका बापट)
* समीक्षा-अनेक पुस्तकों की समीक्षा लिखी।
*अनुवाद- लगन से गगनतक (प्रेरणादायक लेख)और लाॅकडाऊन (कविता) का हिंदी से मराठी में अनुवाद
और तीन किताबों का मराठी से हिंदी में अनुवाद।
* "निल "मराठी सिनेमा में भूमिका की खंखखखखखखख।
* अनेक पुरस्कारों से सम्मानित
*संस्था पदाधिकारी
मुख्य कार्यकारी अध्यक्ष.. राष्ट्रीय शिक्षक संचेतना
अध्यक्ष...समास मुंबई
विश्वस्त... तेजस्विनी संस्था, पुणे
उपाध्यक्ष... मुंबई प्रदेश अखिल भारतीय मराठी साहित्य परिषद*-
****-*
अधर
*
किसी ने यह सोचा नहीं था
की एक दिन यह भी होगा खुलेआम इतराने वाला
अधर पर्दे में कैद होगा।
न जाने किसकी नजर लग गई अधरों पर अब
मास की पट्टी आ गई ।
कोरोना के डर से
अधर पर पर्दा
करने का है फरमान ।
पर्दा करना पड़ता है ।
अब इतराने के
मन में ही रह गए अरमान।
कान में बाली ,हाथ में कंगन
सब सजते संवरते थे पहन के गहने ,
अब अधर भी लगे हैं सजने सवरने ।
उसके लिए पैठणी
और सोने चांदी के मास्कभी लगे हैं बनने।
उसे कहना समझ करलोग लगे हैं पहनने ।
पहले हंसना ही था अधरका गहना
पर उसके भाग्य में आया ,
हंसी छुपा कर मास्क में रहना।
अधर का कामअब आंखें करने लगी है
आंखें ही अब हंसने बोलने लगी है।
*****
[ होली
रंगो का त्यौहार है होली
प्यार मोहब्बत का त्यौहार है होली गिले-शिकवे मिटाने का त्यौहार है होली।
घूमते है बनाकर टोली
अपने रंग में रंग डाल खेलते हैं होली।
गुझिया खाने का और भांग पीने का
बहाना है होली,
रंगने और रंग डालने का त्यौहार है होली।
अपने साथ हो तो रंगो बीना भी रंगीन हैं होली,
अपने साथ ना हो तो रंग होते हुए भी बेरंग है होली।
पेड़ का दर्द
सदा मुस्कुराने वाला पेड़ निराश दिखाई दिया ,
मैंने पूछा
"क्या हुआ बाबा?"
"वट पूर्णिमा आयी"
उसने कहा ..
मैंने कहा, ,
"अच्छा है ना फिर,
कहां-कहां से महिलाएं आएंगी पूजा करेगी, तुम्हारा महिमा गाएगी"
पेड़ ने कहा ,
"उसी का तो रोना है "
गांव में अभी ठीक है
शहर में लेकिन बुरा हाल है।
गांव में महिला पेड़ों के
सखियों पेड़ का दर्द जानो ,
पेड़ लगाओ ,
पेड़ बचाओ।
*********
नारी
नारी नारी है ,
कहते है आजकल
सब पे भारी है ..............
नारी नारी है ,
प्यार -ममता से
लगती न्यारी है ..............
नारी नारी है ,
दिन-रात एक करे घरके लिए
तो सबको प्यारी है ...........
नारी नारी है ,
पर आज भी
अपनोंसे हारी है .......
नारी नारी है ,
पर अपनी आज़ादी के लिए
अभी भी जंग उसकी जारी है
--------------------------------
खामोश हूँ
खामोश हूँ
आगोश में हूँ ,
इसका मतलब यह नहीं
की मै डरपोक हूँ .......
जबाब दे सकती हूँ
तलवार बन सकती हूँ ,
पर मै ,
तोड़ने से जादा
जोड़ने में
विश्वास रखती हूँ ........
औरत हूँ ना ,
प्यार में मजबूर हूँ ,
इसलिए खामोश हूँ ........
लेकिन खामोश हूँ ,
इसका मतलब यह नहीं
की मै डरपोक हूँ .....
---------------------------------
निर्भया
निर्भया
रखा आपने मेरा नाम निर्भया
पर अभी भी नहीं हूँ मैं निर्भया |
सारे जहाँ में आत्मविश्वास से चलती हूँ मैं,
तरक्की के सपने देखती हूँ मैं,
स्वप्नपुर्ती के लिए कोशिश करती हूँ मैं |
फिर भी ......,
स्त्री होने के कारन ,
किसी के द्वारा शिकार होती हूँ मैं |
कोशिशों के बाद संवर जाती हूँ मै,
फिर घावों पर घाव सहती हूँ मैं..|
कई पीढीयों से बार बार
यही दुख भोग रही हूँ मैं..|
"भोगवस्तु "यह मेरी प्रतिमा बदलेगी कब?
इंसानियत से मेरे साथ सब पेश आयेंगे कब ?
सन्मान के साथ जियूंगी कब ?
जगह जगह पर अभी भी ,
देखती हूँ शोषित निर्भया ...,
निर्भया कहते हो ,
पर अभी भी नहीं हूँ मैं निर्भया ..........|
अभी भी नहीं हूँ मैं निर्भया ..........|
*****
*************
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें