नूतन लाल साहू

प्रेम गीत

नारी के बिना नर का
और नर के बिना नारी का
जीवन अधूरा लगता है
इसीलिए आज मैं भी
प्रेम गीत लिखता हूं
शक्ति का साथ मिला
भगवान शिव जी को
ज्ञान की देवी का साथ मिला
ब्रम्हा जी को और
लक्ष्मी जी का साथ मिला
भगवान श्री हरि विष्णु जी को
तभी तो ब्रम्हा विष्णु और महेश
जग रचयिता,पालनहार और
संहारक बन पाया
इसीलिए आज मैं भी
प्रेम गीत लिखता हूं
मेरी महबूबा ज्यादा 
पढ़ा लिखा नही है
उसके साथ बात कर ले तो
पागल भी पागल हो जाये
थोड़ी सी थपकी दे दे तो
पहलवान भी घायल हो जाये
एक आंख आधी है लेकिन
श्री देवी जैसी दिखती है
अगर खिजाब लगा लें तो
जुल्फें नागिन हो जाये
अंग अंग लगता है जैसे
गाड़ी की जनरल बोगी है
ढीलू ढीलू लगती है तो
कैसे ईलू ईलू गांऊ
नारी के बिना नर का
और नर के बिना नारी का
जीवन अधूरा लगता है
इसीलिए आज मैं भी
प्रेम गीत लिखता हूं

नूतन लाल साहू

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