काव्यरंगोली आज का सम्मानित कलमकार पुष्पा जोशी 'प्राकाम्य'

 नाम----पुष्पा जोशी

            'प्राकाम्य'

माता का नाम--श्रीमती

            कलावती जोशी

पिता का नाम----स्व.श्री

              गौरीदत्त जोशी

शिक्षा----टि॒‌पल एम. ए.--इतिहास, अर्थशास्त्र, अंग्रेजी, संगीत प्रभाकर,

विद्यावाचस्पति, बी. एड., बी. टी. सी.(प्रशिक्षण)

संप्रति----शिक्षक (राजकीय विद्यालय उत्तराखंड)

मोबाइल--8267902090

ईमेल-mailto.joshipushpa@gmail.com


विधा--कविता,कहानी, गीत, नवगीत, दोहे,छंद लघुकथा,लेख/निबन्ध आदि।


प्रकाशित पुस्तकें--

1--प्राकाम्य काव्यकलश, 

2--नाचें परियाँ छम-छम-छम,

3--मुन्ना गाए ये हरदम  4--धूम-धूम-धूम-तक-धिना-धिन,

5--झूम-झूमकर नाचें हम',

6--बालकाव्यांजलि 

7--कहानी संग्रह (प्रकाशनाधीन)


सम्मान/पुरस्कार---- 

1--गवर्नर अवार्ड-2015

2---विभिन्न राज्यों की विभिन्न साहित्यिक संस्थाओं द्वारा साहित्यिक सम्मान/पुरस्कार  आदि।

आकाशवाणी, दूरदर्शन पर प्रसारण कवि सम्मेलनों आदि में प्रतिभाग व मंच संचालन आदि।


( *होली पर कुछ रचनाएँ)* 


( *1* )

 *नज़राना* 


सजन जी आज होली है,

मुझे रंगों से भर देना।

सजा देना सितारों-सा,

दो नजराना तो ये देना।

सजन जी आज होली है,,,,,,,।


मेरे कंगनों की खन-खन तुम,

तुम्हीं पायल की रुन-झुन हो।

करो बारिश जो फूलों की,

तो बाँहों में भी भर लेना।

सजा देना सितारों-सा,

दो नजराना,,,,,,,,,,।


मेरा श्रृँगार महकेगा,

किया दीदार जो तुमने।

लुटाना प्यार जी भरके,

करो बरजोरी,कर लेना।

सजा देना सितारों-सा,

दो नजराना,,,,,,,,,,।


तुम्हीं संगीत जीवन का,

बहारें तुम हो जीवन की।

लूँ जब-जब भी जनम सजना!

सुघड़ वर बनके वर लेना।

सजा देना सितारों-सा, दो नजराना,,,,,,,,,,।

सजन जी आज होली है,

मुझे रंगों से भर देना।


पुष्पा जोशी 'प्राकाम्य'

शक्तिफार्म सितारगंज ऊधम सिंह नगर उत्तराखंड


( *2* )

 *घनाक्षरी* 


अबिर-गुलाल लिए,भर-भर थाल लिए,

नैनन में प्यार लिए,गोरी मुस्काय रही।

नैनन से वार किए,वश भरतार किए,

हाथ भर-भर रंग,पिया को लगाय रहीं।

लिए पिचकारी हाथ,मारें किलकारी साथ,

छोटे-छोटे हाथ-पैर,बाल भी चलाय रहे।

भर पिचकारी रंग,बोलते गज़ब ढंग,

तोतली जुबान बोल,सबको रिझाय रहे।



पुष्पा जोशी 'प्राकाम्य'

शक्तिफार्म सितारगंज ऊधम सिंह नगर उत्तराखंड


( *3* )

 *होली पर दोहे* 


रंग प्रथम अर्पित करूँ,प्रथम पूज्य देवेश।

फाग मनाने आइये,हरि-हर- ब्रह्मा देश।।०१।।


सारे देवी-देवता,आमंत्रित कर धाम। 

रंग-पुष्प अर्पित करूँ,सादर करूँ प्रणाम।।०२।।


सकल सृष्टि को हो विनत,सादर करूँ प्रणाम।

लगा भाल कुंकुम तिलक,बोलूँ सीता-राम।।०३।।


रंग-भंग मत कर सके,होली में हुड़दंग।।

होली मिलकर खेलिए,चढ़ें प्रेम के रंग।।०४।।


देवर-भावज खेलते,यों होली के रंग।

नहले पर दहला जड़ें,मन में लिए उमंग।।०५।।


होली की शुभकामना,और बधाई साथ।

सिर पर सबके ही रहे,परमपिता का हाथ।।०६।।


पुष्पा जोशी 'प्राकाम्य'

शक्तिफार्म सितारगंज ऊधम सिंह नगर उत्तराखंड


( *4* )

 *रंगों का त्योहार,* 


होली रंगों का त्योहार,

हम संग खेलें साँवरिया।

होली फागुन फाग बहार,

दुनिया हो रही बावरिया।

होली रंगों का त्योहार,

हम संग खेलें साँवरिया,


अबीर-गुलाल के थाल भरे हैं,

रंग से कलश‌ भरे हैं।

बागों में फूल पलाश खिलें हैं,

दिल से दिल ‌भी मिलें हैं।

हो रही रंगों की बौछार,

हम संग खेलें साँवरिया।


देवर-भाभी, जीजा-साली,

सजनी सजन संग खेलें,

रंगों का त्योहार मनाएँ,

मार रंगों की झेलें।

मीठे रिश्तों का ये प्यार,

हम संग खेलें साँवरिया।


चाय-पकौड़ी,पापड़-गुजिया,

खाए और खिलाएँ।

कोई खिलाए भाँग पकौड़े, 

घोट के भंग पिलाएँ।

मीठी छेड़छाड़ मनुहार,

हम संग खेलें साँवरिया।


ढोल मृदंग मंजीरों के संग, 

गीत मिलन के गाएँ,

घर-घर छिड़ती राग रागिनी, 

मीठी तान सुनाएँ।

है ये खुशियों का त्योहार,

हम संग खेलें साँवरिया।

होली रंगों का त्योहार,

हम संग खेलें साँवरिया।


होली पावन पर्व है ऐसा,

नफ़रत-बैर मिटाए।

प्यार से सब रूठे लोगों को, 

फिर से पास बिठाए।

मारें पिचकारी की धार,

हम संग खेलें साँवरिया।

होली रंगों का त्योहार,

हम संग खेलें साँवरिया।


पुष्पा जोशी 'प्राकाम्य'

शक्तिफार्म सितारगंज ऊधम सिंह नगर उत्तराखंड


( *5* )

 *फागुन"* 


रंगों की बरसे बदरिया,

मेरी भीगे चुनरिया।

रंग भरी छलके गगरिया,

मेरी लचके कमरिया।


होली मिलन ऋतु फागुन की आयी,

मन में उमंग और मैं शरमायी।

आये पिया जब अटरिया,

मेरी भीगे चुनरिया।

रंगों की बरसे बदरिया,

मेरी भीगे चुनरिया।


अबीर-गुलाल के थाल भरें हैं,

कोरे कलश रंगों से भरे हैं।

पड़ गयी पिया की नजरिया,

मेरी भीगे चुनरिया।

रंगों की बरसे बदरिया,

मेरी भीगे चुनरिया।


बचने पिया जी से बागों में भागी,

बागों में भागी तो नींदों से जागी।

ली जब पिया ने खबरिया, 

मेरी भीगे चुनरिया।

रंगों की बरसे बदरिया,

मेरी भीगे चुनरिया।


प्रीत की नजरों से जो रंग डाला,

होली के रंग को भी फीका कर डाला।

गोरी की सज गई नगरिया, 

मेरी भीगे चुनरिया।


रंगों की बरसे बदरिया,

मेरी भीगे चुनरिया।

रंग भरी छलके गगरिया,

मेरी लचके कमरिया।


पुष्पा जोशी 'प्राकाम्य'



शक्तिफार्म सितारगंज ऊधम सिंह नगर उत्तराखंड'

मोबाइल--8267902090

🙏🙏🙏🙏🙏🙏

 गवर्नर अवार्ड 2015 है।

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