नंदलाल मणि त्रिपाठी पीताम्बर

गीत

ये मुकाम आ गया है यूं ही राह चलते चलते!।                                         ये मुकाम आ गया है यूँ ही राह चलते चलते।।                                      ईमान है या धोखा मंज़िल हैं या मौका तूफ़ाँ मुश्किलों में जिन्दगी के हर कदम पे एक चिराग जलाया हमने ये चिराग मुस्कुराते यादों के आॖईने में।।       

ए मुकाम आ गया है यूँ ही राह चलते चलते!।                                       

यकी आरजू के वादों कोशिशों में कितने ही दौर गुजरे कल भी अधूरा इंसा आज भी अधूरा आदमी!।           ये मुकाम आ गया है यूँ राह चलते चलते!।                                 

जिन्दगी कही खूबसूरत कभी मंजिलों मंज़र कही मुस्कान का मुसाफिर कभी 
आसुओं का समन्दर।।
ये मुकाम आ गया है यूं ही राह चलते 
चलते।।          

जिंदगी के रास्तों में रिश्तों का वास्ता, खुशियों का नशा है ग़म कि है गहरायी!।                                     
ये कहाँ आ गये हम जिंदगी कि तलाश करते करते !                                  
ये मुकाम आ गया है यूँ ही राह चलते चलते।।


नंदलाल मणि त्रिपाठी पीताम्बर गोरखपुर उत्तर प्रदेश

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