एस के कपूर श्री हंस

हिंदुस्तान।।हमें अमन हिफाज़त का*
*पहरेदार बनना है।।*
*।।ग़ज़ल।।   ।।संख्या 69  ।।*
*।।काफ़िया।।  ।। आर  ।।*
*।।रदीफ़।।    ।। बनना है।।*
1
हिंदुस्तान को खुद  मुख्तार  बनना है।
पूरी दुनिया में      असरदार  बनना है।।
2
भाई चारे के पैगाम देना  है दुनिया को।
अमन हिफाज़त का पहरेदार  बनना है।।
3
गोलियां बारूद की चल रही हर तरफ।
उन्हें रोकने का भी लम्बरदार बनना है।।
4
कॅरोना से चल रही   लड़ाई दुनिया की।
रोकने   लिए हमको  सरदार बनना है।।
5
बना रहे हम आज सुई से लेकर हाथी तक।
कारोबार में भी हमको नम्बरदार बनना है।।
6
*हंस* करोड़ों  सालों की विरासत है देश की।
बताने दुनिया को हमें सलीकेदार बनना है।।

*रचयिता।।एस के कपूर "श्री हंस"*
*बरेली।।।।*
मोब।।।।।        9897071046
                      8218685464
[09/04, 7:36 am] +91 98970 71046: *विषय।।ज से जल जीवन।।।।।।*
*शीर्षक।।जल  जीवन दायनी है।*
*दिनाँक।।09।।04।।।2021।।।।*
*।।जल संसाधन दिवस के अवसर पर*
*रचयिता।।।एस के कपूर श्री हंस।*
*।।।।बरेली।।।*
1
नदी   ताल में  कम  हो  रहा  जल
और हम पानी यूँ   ही बहा  रहे हैं।
ग्लेशियर पिघल रहे   और  समुन्द्र
तल   यूँ  ही  बढ़ते  ही जा रहे  हैं।।
काट कर सारे वन  कंक्रीट के कई
जंगल  बसा    दिये    विकास   ने।
अनायस ही विनाश की ओर कदम
दुनिया  के  चले  ही   जा  रहे   हैं ।।
2
पॉलीथिन के  ढेर  पर  बैठ  कर हम
पॉलीथिन हटाओ का नारा दे रहे हैं।
प्रकृति का  शोषण कर   के  सुनामी
भूकंप  का   अभिशाप   ले   रहे   हैं।।
पर्यवरण प्रदूषित हो रहा है  दिन रात
हमारी आधुनिक संस्कृति के कारण।
भूस्खलन,भीषणगर्मी,बाढ़,ओलावृष्टि
की नाव बदले में  आज हम खे रहे हैं।।
3
ओज़ोन लेयर में छेद,कार्बन उत्सर्जन
अंधाधुंध दोहन का ही दुष्परिणाम  है।
वृक्षों की कटाई  बन  गया  आजकल
विकास  प्रगति   का   दूसरा  नाम  है।।
हरियाली को समाप्त करने  की  बहुत
बडी  कीमत चुका रही   है  ये  दुनिया।
इसी कारण ऋतुचक्र,वर्षाचक्र का नित
असुंतलन आज   हो  गया    आम  है।।
4
सोचें  क्या दे  कर  जायेंगे  हम   अपनी 
अगली     पीढ़ी     को    विरासत   में ।
शुद्ध जल और वायु  को ही   कैद  कर
दिया है जीवन  शैली की  हिरासत में।।
जानता  नहीं   आदमी   कि   कुल्हाड़ी
पेड पर  नहीं  पाँव   पर  चल   रही  है।
प्रकृति  नहीं  सम्पूर्ण  मानवता  ही नष्ट
हो जायेगी इस दानवता सी हिफाज़त में।।
*रचयिता।।एस के कपूर  "श्री हंस'"*
*बरेली।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।*
*06  पुष्कर एनक्लेव, टेलीफोन टावर*
*के सामने,स्टेडियम रोड,बरेली 243005*
मोब  9897071046।।।।।।।।।।।।।।
8218685464।।।।।।।।।।।।।।।।।।।
*@ मौलिक व स्वरचित रचना।।।।।।।।*



।।माता पिता प्रथम शिक्षक।सर्वोत्तम गुरु।।*
*(क) हमारी माता।हमारी जीवनदायिनी।हाइकु।*
1
माता हमारी
चांद सूरज जैसी
है वह न्यारी
2
माता का प्यार
अदृश्य वात्सल्य का
फूलों का हार
3
माता का क्रोध
हमारे    भले     लिये
कराता   बोध
4
घर की शान
माता रखती ध्यान
करो सम्मान
5
माँ का दुलार
भुला दे हर दुःख
चोट ओ हार
6
माता का ज्ञान
माँ प्रथम  शिक्षक
बच्चों की जान
7
घर की नींव
मकान   घर बने
लाये  करीब
8
त्याग  मूरत
हर दुःख  सहती
हो जो सूरत
9
प्रभु का रूप
सबका रखे ध्यान
स्नेह स्वरूप
10
घर की  धुरी
ममता दया रूपी
प्रेम से  भरी
11
आँसू बच्चों के
माँ ये देख न पाये
कष्ट  बच्चों  के
12
प्रेम निशानी
माँ जीवन दायनी
त्याग कहानी
*(ख)हमारे पिता।हमारे पालनहार।हाइकु।*
1
पिता हमारे
संकट में रक्षक
ऐसे सहारे
2
पिताजी सख्त
घर    पालनहार
ऊँचा है  तख्त
3
पिता का साया
ये बाजार  अपना
मिले   ये  छाया
4
पिता    गरम
धूप में   छाँव जैसे
है भी   नरम
5
घर की धुरी
परिवार  मुखिया
हलवा पूरी
6
पिता जी माता
हमारे जन्मदाता
सब हो जाता
7
पिता साहसी
उत्साह का संचार
मिटे उदासी
8
पिता से धन
हो जीवन यापन
ऋणी ये तन
9
पिता कठोर
भीतर से कोमल
न ओर छोर
10
शिक्षा संस्कार
होते जब विमुख
खाते हैं मार
11
पिता का मान
न  करो अनादर
ये चारों धाम
*रचयिता। एस के कपूर "श्री हंस"*
*बरेली* 9897071046/8218685464


।।आदमी के बीच दीवारों का हो गया*
*है जमाना।।*
*।।ग़ज़ल ।।   ।।संख्या 70।।*
*।।काफ़िया।।  ।। आरों ।।*
*।।रदीफ़।।   ।। का हो गया है।।*
1
जमाना झूठे  हक़दारों   का  हो गया है।
आदमी के बीच दीवारों   का हो गया है।।
2
पहले मारते और   फिर   करते हैं आगाह।
अब जमाना ऐसे ख़बरदारों का हो गया है।।
3
हर बात में देखते   हैं मतलब पहले अपना।
यह जमाना ऐसे समझदारों का  हो गया है।।
4
चोर चोर मौसेरे भाई वाले   बन गए लोग।
अब जमाना ऐसे पहरेदारों का हो गया है।।
5
किसी को बात चुभती है   तो चुभ जाये।
अब जमाना ऐसे रसूखदारों का हो गया है।।
6
कभी आग पर रोटी , तो कभी रोटी पर आग।
आज जमाना ऐसे सियासतदारों का हो गया है।।
7
*हंस* हर किसी के मुँह पर वैसी ही करें बात।
ये जमाना ऐसे कुछ होशियारों का हो गया है।।

*रचयिता।।एस के कपूर "श्री हंस"*
*बरेली।।।।*
मोब।।।।।      9897071046
                    8218685464

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