एस के कपूर श्री हंस

।।हर शेर में इक़ बात इंसानी रहती है।।*
*।।ग़ज़ल।।   ।।संख्या 68 ।।*
*।।काफ़िया।।  ।। आनी  ।।*
*।।रदीफ़।।     ।।रहती है ।।*
1
हर शेर में एक     रवानी   रहती है।
शेर वो है कि इक़ कहानी रहती है।।
2
हर शेर    कुछ   बात    कहता    है।
उसमें कुछ बात   दीवानी  रहती है।।
3
दो मिसरों में मुकम्मल  होता है शेर।
इक़ शेर में पूरी जिन्दगानी  रहती है।।
4
हर शेर रख देताआदमी को हिलाकर।
हर शेर में ऐसी  रोशनदानी   रहती है।।
5
इक इक़ शेर बयां करता  हक़ीक़त यूँ।
उसमें दुनिया की निगहबानी रहती है।।
6
*हंस* हर शेर है ग़ज़ल के हार का मोती।
इसमें छिपी गहरी बात इंसानी रहती है।।
*रचयिता।।एस के कपूर "श्री हंस"*
*बरेली।।।।*
मोब।।।।।      9897071046
                    8218685464
जिन्दगी का साथ निभाने में ही*
*जिन्दगी की वाह है।।*
*।।ग़ज़ल ।। ।।संख्या 67।।*
*।।काफ़िया।। ।। आह।।*
*।।रदीफ़।।    ।। है     ।।*
1
मर मर कर जीना  तो  गुनाह है।
खुल कर  जियो तो  ही  वाह है।।
2
खूबसूरती है   बस  निभाने   में।
क्यों दिखाना किसी को आह है।।
3
महोब्बत भर कर जियो  सीने में।
नाश कर देगी दिल की   डाह  है।।
4
सब कुछ कर सकताआदमी यहाँ।
गर जिन्दगी में  जीने की  चाह है।।
5
एहसास की नमी बेहद जरूरी है।
पता चलता  रिश्तों की परवाह है।।
6
सूखी रेत फिसल जाती  हाथों से।
जान लो   पूरी दुनिया    गवाह है।।
7
क्यों जी रहे  जिंदगी के  अंधेरों में।
जब कि सामने    खड़ी  सुबाह है।।
8
*हंस* खुशी से जियो और जीने दो।
जिन्दगी जीने की यही एक राह है।।

*रचयिता।।एस के कपूर "श्री हंस"*
*बरेली।।।।*
मोब।।।।।       9897071046
                     8218685464

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