आप रुक जाइये कुछ पलों के लिए
चैन आयेगा दोनो दिलों के लिए
हाथ पर हाथ धरने से क्या फायदा
जुस्तजू तो करो मंज़िलों के लिए
इस लिए शेर मेरे यह मशहूर हैं
शेर कहता हूँ मैं दिलजलों के लिए
कैसे मुश्किल टिकेगी मेरे सामने
मैं तो पैदा हुआ मुश्किलों के लिए
इक जगह इनका ईमान टिकता नहीं
कब समझ आयेगी मनचलों के लिए
दर्दो-ग़म की हमारे किसे फ़िक्र है
हम तो शायर है बस महफ़िलों के लिए
काँटों से ज़ख़्मी *साग़र* हुआ तन बदन
चुनना चाहा था जब भी गुलों के लिए
🖋️विनय साग़र जायसवाल
8/4/2021
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