9920796787****रवि रश्मि 'अनुभूति '
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ग़ज़ल
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बह्र -----
221 2121 1221 212
क़ाफ़िया ----- स्वर आ
रदीफ़ ----- है आइना
चौकस सदा रहे ये दिखाता है आइना .....
दिलबर की दिलबी भी ये दिखाता है आइना .....
बेचैन दिल सदा रहे किसको बतायें हम .....
खुद भी उदास है ये बताता है आइना .....
देखो चले कभी भी वो ही सुरूर में .....
है मल्लिका वही ये जताता है आइना .....
करना नहीं गुरूर सुनो बात आज यही .....
यह बात है पते की सुनाता है आइना .....
आबाद है अभी दिल का ये जहान भी .....
रखना इसे सँभाल सिखाता है आइना .....
तुम तो कभी छुपा न सको राज दिल सुनो .....
दिल का हरेक अक्स दिखाता है आइना .....
होते हज़ार भी टुकड़े दिल के तो कभी .....
कर्तव्य तो सभी में निभाता है आइना .....
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(C) रवि रश्मि अनुभूति '
मुंबई ( महाराष्ट्र ) ।
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🙏🙏समीक्षार्थ व संशोधनार्थ ।🌹🌹
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