शोभा सोनी
बड़वानी जिला बड़वानी
मध्यप्रदेश
शोभांजली काव्य संग्रह
में रचना प्रकाशित
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कविताएं आप सभी के अवलोकन हेतु प्रस्तुत है हौसला अफजाई हेतु
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विषय- होली
रँगों की बहार छाई
होली आई रे
स्वरचित -
रँगों की बहार छाई ,रे होली आई रे
खुशियाँ छाई चहुँ ओर ,होली आई रे।
गोकुल में धमाल मचावें
कान्हा संग फाग मनावें
ग्वालो की टोली आई होली आई रे
रगों की बहार छाई ,होली आई रे
रँग गुलाल उड़ावे भर पिचकारी मारे फुमारी
करे बरजोरी हुड़दंग मचावें होली आई रे
रँगों की बहार छाई होली आई रे
ढोल नगाड़ा चंग बजावे
सरस् फाग रसिलो गावे
मुरली फाग रास रमावे ,होली आई रे
रंगों की बहार छाई अरे होली आई रे
गूँजया ठंडाई मेवा मिठाई
खूब लुटावे यशोदा माई
गोपियाँ प्रेम रँग भिगोई
साथ भाँग घोट लाई , होली आई रे
रँगों की बहार छाई .रे होली आई रे।
गोकुल ग्वालो की ले टोली कान्हा पहुँचे बृज को,
रँगने राधा गौरी को बृषभानु की छोरी को।
सखियाँ देख सभी हरषाई होली आई रे।
रँगों की बहार छाई,.रे होली आई रे।
ढूंढ लिया राधे प्यारी को
पकड़ बईया रँग डाला
गोरा बदन सुकुमारी का
लाल पीला कर डाला
कान्हा बदन मस्ती छाई होली आई रे
रँगों की बहार छाई रे होली आई रे।
शोभा सोनी
बड़वानी म,प्र,
होली
स्वरचित
विषय- रँगों में प्यार मिला ले
आओ नफरतों को मिटा दें
जीवन से उदासियाँ हटा दें
काम करे ऐसा आशीष सबकी पालें।
न दर्द दें किसी को न घाव दिल में पालें।
गले लगायें सबको गिले - शिकवे मिटालें।
क्या गरीब क्या अमीर ये रँग भेद न पालें
इन रँगों की तरह हम भी ये फर्क मिटालें
अधरों पर हो मुस्कान सदा जीवन सुखी बनालें।
बन कर किसी का सहारा तन्हाइयाँ मिटादें।
अबकी होली इन रँगों में थोड़ा प्यार का रँग मिलालें।
दिल जिसमे रँगना चाहें ऐसा प्यार का रँग डालें।
कड़वाहट दूरकर,आओ रँगों में प्यार मिलालें।
शोभा सोनी बड़वानी म,प्र,
होली
लेखनी की धार से
विषय- कवियों संग होली ( कोरोना)
कौन कहता हैं कि रस कोरोना काल मे
फीका लग रहा हैं होली का त्यौहार
हर कवि कर रहा हैं शब्दो से प्रेम गीतों की बरसात
कभी कान्हा का फाग रस तो
कभी राधे की हया की लाली
हर शब्द को बना दिया हैं
सबने मिल सप्तरंगी रांगोली
कौन कहता हैं कि कोरोन में हमने नही खेली होली
हर रँग में रँगाया हैं वो जो इस पटल पर आया हैं
बड़ी कृपा इन रचनाकारों की जिसने
जीवन के हर पल को सुनहरी शब्दों से सजाया हैं
कई रँग बिखेरे हैं दिल के कोरे कागज पर
रोते सिशकते बेचैन मन को
तन्हाई से हटा ज्ञान पँखो का रँग भर उड़ना सिखाया हैं
हम भी अब इन रँगों में रँगवाने चले आय हैं
अबकी होली हम कवियों संग मनाने चले आये है
शुक्रिया सभी कवि भाई बहनों का
जो भाँती -भाँती के रँगों भरे शब्द बिखेर कर इस
मंच इस पटल को रँगों से भरने आये हैं
सुना हैं ये काव्य रस चढ़ कर उतरता नहीं
हम भी इस रँग में अपना दामन रँगाने आये हैं
अबके होली हम कवियों संग मनाने आये हैं
शोभा सोनी बड़वानी म,प्र,
होली
स्वरचित कलम
विषय- भावो के रँग
आज रँगाले आओ दिलो को सच्चे भावो के रँग
करले वादे एक दूजे को कभी ना करेंगे तँग
जीवन के हर पथ में हम सांझा कर पार करेंगे।
मुश्किलों की लहरों पर भी तैर कर दिखलाए गे।
गर कभी आये गम की आंधी
आँखों मे नमी भर जाय
हिम्मत बन एक दूजे की हर तूफ़ान से लड़ जायेगे
क्या हुआ जो आज गुलाल रँग नही लग पाया
तेरी प्रीत भरे भावों के रँग में हम सराबोर हो जायेगे।
अनमोल.रिश्तों की खातिर हम
जीवन कुर्बान कर जायेगे
ऐसे प्यारे रँगों को हम भुला नही पायगे
रंग जाएंगे प्रीत रँग में और प्रीत में खो जायेंगे।
ये भावों के रँग हर रँग से अजीज हैं
इन रँगों की कीमत हम चुका नही पाएंगे।
शोभा सोनी
बड़वानी म,प्र,
होली
स्वरचित विधा कविता
विषय- जीवन होली हो गया
अबके फ़ागुण साजना मोहें बरसाने ले चालो जी
राधे श्याम संग हैं माने फाग राग गाणों जी
सुन्यो हैं जो भी इणसूं रँगावे
रँग वो कभी छुड़ा ना पावें
इनको प्रेम हैं जग सु साचो
जिन पाया सु बदले मानव मन ढांचों
बिरला कोई इन को प्रेम पावें
आपणो जीवन सफल बनावें
ऐसा फाग रसिया सु हैं माने रँगणो जी
अबके फ़ागुण रसिया माने बरसाने ले चलो जी
कोरी कोरी चुंदरी मारी
श्याम रँग रँग लगे ली प्यारी
मारी थे रँगा दीजो चुनर
थाको कुर्तो रँगाजो जी
आपा मिल राधे श्याम जपाला
सुण सजन मंद-मंद
मुस्काया
ले माने बरसाने आया
देख जोड़ी राधेश्याम की
में तो धन्य धन्य हो ली
हेली मिल ऐसो खेलयो फाग
मेंतो बावली हो ली
भूल गई सजना को मोपे
रँग चटकीलो चढ़यो अनोखो
पाके दर्शन राधेश्याम के मन उन में खो गया
आज जीवन होली हो गया
आज जीवन होली हो गया
शोभा सोनी बड़वानी म,प्र,
शोभा सोनी बड़वानी म,प्र,
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