सुनीता असीम

जहां आंसुओ की ये बरसात होगी।
न जाने मैं दूंगी वहीं बात होगी।
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जो तुम चाँद हो तो हूँ मैं भी चकोरी।
कभी ना कभी तो मुलाकात होगी।
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 कहानी मुहब्बत की कहता समां है।
न पूछा किसीने कि क्या जात होगी।
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 जो दुख मुझको देने कन्हैया बता दो।
कि कितनी ग़मों की भी इमदात होगी।
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न समझा है अपना कभी हमको तुमने।
बनोगे न दूल्हा न            बारात होगी।
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पकड़ लो ये बाहें ओ मुरली मनोहर।
बढ़ी सी हुई अपनी   औकात होगी।
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सुनीता असीम
२/४/२०२१

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