सफलता का राज
विवेक का सही प्रयोग
आप सभी जानते है
सच कड़वा होता है
पर सफलता का
कोई शॉर्टकट नही होता है
आदमी में सत्य को
कहने और सुनने की
शक्ति होनी चाहिए
सत्य का मुंह बंद न करें
ये हर व्यक्ति को चाहिए
हमें सफलता तभी मिलेगी
जब हमारे हाथ में,जो भी काम है
धैर्य रखकर सुझबुझ से
उस पर निरंतर परिश्रम करेंगे
अवगुण प्रत्येक व्यक्ति में
निश्चित रूप से होता है
लेकिन उन्हें स्वीकार
कोई विरला ही करता है
और जो भी स्वीकार करता है
वो महात्मा बन जाता है
महान दार्शनिक सुकरात जी
अपने अवगुण को किया स्वीकार
क्रोधावेग में उससे
एक चूक हो गई
शिष्य के विवेक पर
उसने नहीं दिया ध्यान
फिर हुआ उसे पाश्चाताप
अपने सभी अवगुणों को कैदकर
बन गया महात्मा सुकरात
विवेक और सिर्फ विवेक ही
एकमात्र शक्ति है
जिसके चलते व्यक्ति अपने
अवगुणों पर अंकुश रख सकता है
यही तो है
सफलता का राज
नूतन लाल साहू
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