मौसम आते जाते है
मौसम के दिन महीने चार
जीवन के भी दिन चार।।
जीवन मौसम में अंतर
इतना मौसम का चाल
चरित्र चेहरा नही मौसम नियत काल।।
पल प्रहर दिन रात
बदलता मौसम का
मिज़ाज़ जीवन का एक
चेहरा चाल चरित्र संस्कार।।
गर जीवन भी हो जाये
मौसम जैसा युग सृष्टि
मिट जाएग छा जाएगा आंधेरो का
साम्राज्य।।
कभी कठिन दौर हाहाकार मचाते
प्राणी प्राण मुश्किल में
कभी राहआसान मौसम आते
जाते है।।
मौसम का प्राकृति
परिधान मानव प्रबृत्ति प्रधान मौसम प्रकृति प्रधान।।
वर्षा कभी सावन की
रिम झिम फुहार कभी जलप्लावन
डूबता आशाओं का संसार।।
सर्द रात की चाँद चॉदनी प्रेम
प्रीत का राग, ठिठुरते कभी प्राणी
प्राण का करते त्याग।।
मौसम बसंत बाहर
खुशियाँ उमंग का घर समाज परिवार
व्यवहार।।
उत्सव उल्लास का मधुमास
नूतन कोमल किसलय नव
काल कलेवर का प्रकृति
करती सृंगार।।
शिशिर हेमंत ज्वाला तेज
तूफान अंगार कभी हंसाते कभी
रुलाते जीवन वायु प्राण
मौसम आते जाते है
संसय विश्वास।।
नंदलाल मणि त्रिपाठी पीताम्बर गोरखपुर उत्तर प्रदेश
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