"( रचना- शारदे वंदना )
विनय करूँ माता वीणावादनी।
जय जय शारदे माँ वरदानी।।
मातु सदा ही वाणी विराजे।
हाथ सदा ही वीणा साजे।।
हंस वाहिनी माँ कहलाती।
राह सदा ही माँ दिखलाती।
जय जय शारदे ज्ञान की दानी।
जय वीणापाणी माँ वरदानी।।
अंधकार जग से मिट जाये।
ज्ञान दीप मन में जल जाये।।
जब जब बजती वीणा की झंकार।
चहुं दिशा में ज्ञान का होता संचार।
सदमार्ग साहस सदा ही देना।
आलोकित हर पथ कर देना।।
नित वंदन करते सब ध्यानी।
जग पूजे सब जग के ज्ञानी।।
विनय करूँ माता वीणावादनी।
जय जय शारदे माँ वरदानी।।
...........भुवन बिष्ट
रानीखेत (उत्तराखंड)
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