ग़ज़ल--
हमारे मुल्क में ऐसी कोई सरकार आ जाये
सभी के हाथ में अच्छा सा कारोबार आ जाये
खुली सड़को पे पीते हैं शराबी बोतलें लेकर
इलाक़े का भला ऐसे में थानेदार आ जाये
वबा की मार से हर रोज़ ही इंसान मरते हैं
करोना की दवा इस बार तो दमदार आ जाये
वगर्ना ग़म के सागर में किसी दिन डूब जायेंगे
*कहानी में ज़रूरी है नया किरदार आ जाये*
दुआएं माँ की उस लम्हा भी मेरे साथ रहती हैं
भले तूफान में कश्ती मेरी मझधार आ जाये
बहारें मस्त हैं चारों तरफ़ हैं वादियाँ महकी
मज़ा हो तब अगर ऐसे में अपना यार आ जाये
वो अक्सर रूठ जाता है ख़मोशी ओढ़ लेता है
मनाने को उसे करना मुझे मनुहार आ जाये
*चुनावी डियुटियों में हम लगा दें मंत्री सारे*
*वबा के दौर में गर हाथ में सरकार आ जाये*
हमेशा भूख से लड़ते ही देखा काश अब *साग़र*
रईसों की सफ़ों में देश का फ़नकार आ जाये
🖋️विनय साग़र जायसवाल
16/4/2021
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