काव्य रंगोली आज का सम्मानित कलमकार डॉ. सीमा भाँति “नीति”, अमेरिका

 संक्षिप्त परिचय:

डॉ. सीमा भाँति “नीति “ , अमेरिका महाविद्यालय प्रधानाचार्या , पद से स्वेच्छिक अवकाश ग्रहण !

एम. ए., एम. एड., पीएच . डी., पी. जी. डिप्लोमा इन कम्प्यूटर साइंस !

कहानी ,कविता आलेख लेखन ,विभिन्न साझा संकलन, पत्रिकाओं में प्रकाशन !

राष्ट्रीय  एवं अंतर्राष्ट्रीय संगोष्ठियों  में सहभागिता व संचालन !

राष्ट्रीय  एवं अन्तराष्ट्रीय  पुरस्कार !

काव्य संग्रह -शीघ्र प्रकाश्य 

सम्प्रति : अध्यक्ष, नेचुरल प्रोडक्ट कम्पनी  !

स्वतंत्र लेखन ,वेबिनार: गोष्ठी   आयोजन, सहभागिता, संचालन !

      पेटिंग, हस्तकला, फूड कार्विंग, कारपेट मेकिंग, क्ले मॉडलिंग , ज्वैलरी डिज़ाइनिग, इन्टीरियर, वेस्ट मेटिरियल रीसाइक्लिंग आदि!


सम्पर्क: 

 Ph.+15516661713


#1

#विषय: समाज

#रचियत्री: डॉ. सीमा भाँति “ नीति”, अमेरिका 

#स्वरचित मौलिक रचना 


समाज वर्तमान, भूत, भविष्य का दर्पण,

सभ्यता, संस्कार, संस्कृति को अर्पण,

निरंतर पल्लवित करता रहता सुसंस्कृत,

सुसंस्कृत जन ही करते समाज को अलंकृत,

ये ही हैं जीवन्त समाज के कुबेर सशक्त स्तंभ,

अपने हुनर, कर्म से कीर्ति के नित नए लगाए खंभ।


मूल इकाई समाज की व्यक्ति से बना परिवार, 

जिसमें हो स्नेह, सामंजस्य, समरसता की बहार,

जन जो कुटुंब व समाज का अभिन्न विशेष अंग,

उसमें सद्गुण, सच्चाई के साथ कुछ बुराई के दंश,

है संवाहक कुरीति-रीति, रूढ़िवादी, विवेकपूर्ण का,

यहाँ दर्शन रीति रिवाज के नाम पर नित नये स्वाँग का।


कुरीति- दहेज, शोषण, भ्रूण हत्या, नारी व्यभिचार,

धार्मिक उन्माद, दंगा, भ्रष्टाचार, भेदभाव, दुष्कर्म,

विषबेल पोषित अब जड़ से उखाड़ करो सत्कर्म,

हर स्तर पर हो समाज सुख-समृद्ध, सशक्तिकरण,

सजृनात्मकता, हुनर प्रेरणा, स्वस्थ समाज अनुसरण,

स्वतंत्रता, दायित्व, नारी, बुजुर्ग आदि मान अंत:करण।


समाज व्यक्ति में निरंतर चलता रहे ह्रदय मंथन,

कुरीति, रूढ़िवादिता, व्यभिचार, अवगुण उन्मथन,

सद्भाव, प्रेम, सद्गुण, धर्म, जाति सबका मान उन्नयन,

स्वस्थ व्यक्ति समाज स्नेहशील बनाना प्रथम ध्येय,

“नीति” कहे संतुलित समाज, सद्गुण ओज अनुष्ठेय,

सत्त कर्तव्य पथ पर समरस समाज राष्ट्र हमारा उद्देश्य, हमारा उद्देश्य........



               डा. सीमा  भाँति “नीति”, अमेरिका 

               स्वरचित मौलिक  रचना


#2


# विषय: नन्हें दिल की एक प्यार भरी गुहार

# स्वरचित मौलिक रचना

# रचियत्री: डॉ. सीमा भाँति “नीति” , अमेरिका    


💞💔💕💔💞💔💕💔💞💔💕💔💞💔💕💔💞


एक नन्हा दिल, जो अभी इस दुनिया में ही नहीं आया,

बस उसके होने का एहसास कोख को ही हो पाया।

गुफ़्तगू माँ-बाप की सुनते ही वो बहुत  घबराया,

माँ को सकुचाता घबराता रोता देख अधिक बिचकाया।

तन्हाई पा के थोड़ा घबराते हुए इस तरह बोला, 

ये अल्ट्रसाउंड, डॉक्टर ना जाने बाबा क्या बोला।


क्यूँ कोने में बैठी सुबक सुबक रोती हो करहाती ,

क्यूँ अभी तक चुपचाप यूँ तकिया पर बिलखती।

अब मेरे ना होने के आदेश को चुपचाप करती अमल,

ओ माँ ! इतनी जल्दी क्या है मुझे करने की अलग ।

तू ही तो कहती थी बस ये है मेरा नौ महीने घर,

फिर तू आयेगा इस खलक में करने रोशन घर ।


क्या मुझसे हुई कोई गुस्ताखी तो फिर बता ना माँ,

अभी पकड़ता ‘कान’, पर कैसे? कान तो है ही नही माँ।

चाहता हूँ बात करना बाबा से भी माँ मैं , दिल ,

पर जब वो तुझ से बात नहीं करते हिलमिल।

डर लगता है, तो मैं कैसे? तू ही कुछ कर ना माँ,

अपने लिए कभी ना हुई खड़ी पर अब तो हो माँ।


मेरी ख़ातिर ही अड़ा अंगद पैर माँ, ओ मेरी प्यारी माँ,

नन्हा प्यार दिल सिसक सिसक कर के पुकारे माँ।

माँ सुन लो, दादी सुन लो, कोई तो सुन लो मेरी गुहार,

मुझे अभी ज़बरदस्ती नहीं बिलकुल नहीं आना बाहर।

नौ महीने आराम से इस गुलाबी मख़मली में रहने दो घर में,

बस मारो मत, बचाओ माँ ! आने दो साकार रूप में इस प्यारे जहाँ में, इस प्यारे जहाँ में ........ 


💞💔💕💔💞💔💕💔💞💔💕💔💞💔💕💔💞


             डॉ. सीमा भाँति “नीति” , अमेरिका    

              स्वरचित मौलिक रचना


#3


#विषय: मानवता के लाल

# स्वरचित मौलिक रचना

# रचियत्री: डॉ. सीमा भाँति “नीति” , अमेरिका 


सुनी थी पारियों ( angles) की कहानी दादी - नानी से , 

आज इस धरा पे अवतरित है करोना वोर्रीरस आसमाँ से । 

हथेली पर जान , परिवार , सब लेकर निस्वार्थ भाव से , 

फिर भी कुछ मानवता के दुश्मन खड़े हुए इस राह में स्वार्थ से ।

अब तो हो गयी हद ही अश्लीलता व उनके व्यवहार से , 

देवदूत जो करने आए थे रक्षा हमारी , पड़ गए जान के लाले उनके । 

साष्टांग प्रणाम उन माताओं को, ये निकले  जिनकी गोद से , 

“नीति”  सहित कण कण ब्रह्मांड का , नतमस्तक इनके समक्ष कृतज्ञता से । 

प्रार्थना , एकता , समर्पण मूलमंत्र केवल , एकमात्र मूलमंत्र दिल से ,

विजयी अवश्यभामि , जय हो, जय हो, ‘मानवता के लाल’ जय हो !!!


               स्वरचित मौलिक रचना

             डॉ. सीमा भाँति “नीति”, अमेरिका


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