सुगन्ध
कविता
फूलों सी सुगन्ध बिखेरो ,
पुष्प हृदय सी विशालता ।
ताल मेल काटों संग सीखो ,
मधुबन जैसी उदारता ।
उपकार हेतु ही जन्म लिया ,
देखो ! प्रसून की महानता ।
काटों में खिलकर भी हंसता ,
कितनी पावन है उदारता ।
पुष्प सिखाता परिवर्तन को,
यही पुष्प की महानता ।
प्रेम सिखाता त्याग सिखाता,
बनकर जग की सुंदरता ।
पुष्पों के उपकार निराले ,
सुख दुख में यह साथ निभाता ।
मृत शैया पर ये बिछ जाता,
यह सुहाग की सेज सजाता।
दुल्हन का गजरा बन जाता ,
देवों के सिर भक्त चढाता ।
राष्ट्र पताका में जा बंधता
औषधियां तक यह बन जाता।
यह परिवर्तन का द्योतक है,
जीवन का संदेश सुनाता ।
राग सुनाता गीत सुनाता ,
ये सारे जग को महकाता।
फूलों सी सुगन्ध बिखेरो ,
पुष्प हृदय सी विशालता ।
सुषमा दीक्षित शुक्ल
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