जीवन परिचय
पूरा नाम... श्रीमती सरोज सिंह ठाकुर
माता का नाम.... श्रीमती बिमला ठाकुर
पिता का नाम... स्वर्गीय श्रीमान चतुर सिंह ठाकुर
पति का नाम.. श्रीमान् मधुसुदन सिंह वर्मा
स्थाई निवास... इन्द्र सेन नगर सत्ताईस खोली.. जिला बिलासपुर.. छतीसगढ़।
मोबाइल नंबर.. 9406288063
मै एक साहित्यिक कार हूँ।
विधा.. लेखन छतीसगढ़ी, हिन्दी
वर्तमान में छतीसगढ़ महिला कान्ती सेना की प्रदेश संगठन सचीव हूँ ।
बिलासपुर महिला साहित्य समिति समन्वय संस्था की संगठन सचीव हूँ।
अपने राजपुत समाज की प्रदेश मंत्री हूँ।
सम्मान... साहित्य समिति बस्तर द्वारा बेस्ट लेखिका सम्मान.
अकाशवाणी जगदलपुर से गीत कहानी कविता का प्रसारण टीवी पर अभिनय
शौक... गायन, लेखन,
की मंचो पर संचालन का दायित्व
भ्रष्टाचार
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भ्रष्टाचार की इस नदी में।
मै भी गोता लगा गई।
कल तक थी अंजान यहां से।
आज मै सब कुछ जान गई
क्या होती राज और।
क्या होती है राजनिति।
क्या नेता और क्या अभिनेता।
सबकी चाल अब जान गई।
भ्रष्टाचार चार की इस नदी में मै भी गोता लगा गई।
कल तक थी मै झोपड़ी में।
आज महलों मे आ गई।
घूमती थी जिनके आगे पीछे।
वो घुम रहे अब, मेरे आगे पीछे।
नेता और चमचों की भाषा।
आज मै जान गई।
भ्रष्टाचार की इस नदी में।
मै भी गोता लगा गई।
इंतजार "
मुझे इंतजार उस दिन का है
जिस दिन मेरे घर आंगन में
प्रेम और विश्वास के दीप जलेगे
मेरी आंखें उस पल का इंतजार कर रही है जब
मेरे जीवन की बगिया में
प्रेम प्यार और त्याग के
फुल खिलेगे।
मै जिन्दगी को जीना चाहती हू।
मै भी अपने मन मंदिर में तुम्हे बिठाकर पुजना चाहती हू।
तुम्हारे साथ जीवन के अंगिनत पलो जीना चाहती हू।
मेरे हृदय के तार उस पल को महसूस करना चाहती है।
जब।
तुम मुझे आकर कहो प्रिये
मेरा जीवन मेरा तन, मन सब
तुझको ही अर्पण है
मै सदैव तुम्हारा हु। और सदा तुम्हारा ही रहुगा।
मुझे उस पल का इंतजार रहेगा
मोदी की राजनीती
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वाह मोदी जी ने कर दिया कमाल
पल भर में ही कर दिया सबका बन्टा धार।
क्या नेता क्या अभिनेता।
सब थे अब तक माला माल।
पल भर मै ही कर दिया रे सबको कंगाल।
कहां जाऊ कहां जाऊ की हो रही है अब भागंभाग। कहां छुपाऊ अब तक का सारा काला माल।
कुछ बात समझ में नहीं आई।
रातो रात जनता नेता अभिनेता सबकी नीद उड़ाई।
जनता को दुख है थोड़ा। पर
खुश है कि रातो रात काले धन पर लग गया अब अब ताला।
न सोच थे जनता और न समझ पाऐ ऐ नेता की दिन ऐसा भी आऐगा। कि।
चुप चुप बैठे मोदी।
ऐसा तीर भी चलाऐगा।
पल भर में ही ऐसा हाहाकार।
सारे जहाँ मे मच जाऐगा।।
अब होगी शान्ति देश में।
अब जनता चैन की नींद
सो पाऐगा।
छुपा हुआ सारा काला धन।
अब बहार आ जाऐगा
अब होगी जनता खुश।
अब लहराऐगा तिरंगा।
आसमान में।
सत्य शान्ति और अमन 🙏🏼🙏🏼🙏🏼🌹
धुप
,,,,,,,,,
इस,,,,, तपती धूप में।
चलो,,, कही छांव ढूंढ ले।
कुछ पल,, रुक कर।
आओ मंजिल की ओर बढ़ ले...
इस,,, तपती धूप में चलो,,,
कहीं छांव ढूंढ ले।
माना कि मंजिल,,, दुर है अभी।
पर '' इस तपती धूप में।
हमारे "कदम यु न लड़खडांऐ। आगे।
ऐसी एक छांव ढूंढ ले।
इस तपती धूप में चलो।
कही छांव ढूंढ ले।
देती है... धुप जिन्दगी में आगे बढ़ने की।
गर कर लो दोस्ती इससे।
तो मंजिल भी मिल जाऐ।
ऐसी एक बुनियाद रख लो
आओ इस तपती धूप में।
कही छांव ढूंढ ले।
सच्चाई है जिन्दगी की यही
मौत नहीं देखती... क्या
धुप है या छांव
क्यो की इन्सान की।
असलीयत ही है,,
मरधट की छांव।
साथ
........
ईश्वर से करना है प्रार्थना
दोनो.. हाथों का साथ चाहिए।... मांगनी है दुआ.. किसी के लिऐ... ईश्वर का साथ चाहिए।
आनाथो को किसी अपनो का।... भुखे को रोटी का, बेसहारा को सहारा का, साथ चाहिए... हर हाथ को काम चाहिए..।
रथ को सारथी का. शव को अर्थी का, पंडित को आरती का, माँ भारती को सच्चे हिन्दुस्तानी का साथ चाहिए।... आज देश के लिऐ मर मिटे... ऐसा सच्चा सिपाही का साथ चाहिए।
हाथ से हाथ मिला, जीवन में, जीने का साथ मिला... धरती को अकाश का साथ मिला... अंधियारे को उजाला का साथ मिला।
माता को पिता का, बच्चों को माता पिता का, घर को परिवार का, भाई को बहन का,, मुझे ऐसा परिवार मिला... संस्कृति संस्कार का साथ मिला... शुक्रगुजार हूँ की मुझे विश्वंमंच का साथ मिला.... दोस्तो.. सखियों से भरा परिवार मिला....
सरोज सिंह ठाकुर 🙏🏼🙏🏼🙏🏼🙏🏼🌹
कभी नीम. नीम।
कभी शहद. शहद।
लगती है जिन्दगी।
भुझको कहीं रंगो से भरी।
तो कहीं बेरंग सी लगती है।
लगती है जिन्दगी....
कभी नीम नीम।
कभी शहद शहद
लगती है जिंदगी
देखती हूँ... जब पन्ने।
जिन्दगी के खोल के।
कभी बेबस।, तो कभी।
लचार सी... लगती है।
जिन्दगी...
कभी नीम नीम।
कभी शहद शहद।
लगती है। जिदंगी
खुशी और गमों के
रंगो का मेल है... ऐ जिन्दगी।
गम को छोड़ के।
दामन भर लो खुशियों के रंग से.... अपनी जिंदगी।
लगने लगेगा फिर.... शहद है जिदंगी।
कभी शहद शहद।
तो कभी नीम नीम है।
जिन्दगी।
प्रेम
....
मौत के आगे हर कोई हारता है.. यहां
सच तो यही है... जब तक जीवन है तब तक आस
तोड़ नफरत की दिवार आज।
प्रेम को अपनाओ।
छोड़ मै मै को आओ हम हो जाओ।
प्रेम का रस पीकर देखो आज
नफरत का जहर भुल जाओगे
कल तक दुर थे अपनो से
आज उनको करीब अपने पाओगे।
प्रेम हमेशा जोडता है जीवन से बस आज इसी को अपनाओ
आओ मै से बस हम बन जाओ
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