कोरोना हाहाकार
कहीं ऑक्सीजन की कमी
कही कम पलँग की व्यवस्था
तनाव बढ़ रहा प्रति दिन
कैसे होगी सुरक्षा।
भ्रष्टाचार में लिपटे
मानव रूप में दानव हैं
इन्हें मतलब नही पुण्य पाप
वो पेट नोटों से भरता।
हुए घर खाली रेे खाली
जो कल तक चहका करते थे।
हाल है आज उस घर एक
दिया तक भी नही जलता।
कैसी ये आपदा जो बन कहर
धरती पे आई है।
लगता डर बड़ा कितना
जो घर से कोई निकलता।
त्राहिमाम त्राहिमाम शोर
मचता जाए चारों ओर
सहारा चार कांधो का
जनाजे को नही मिलता।
न कोई कर्म न ही कांड
सब बेकार हो बैठे
जाने किस जनम का पाप
आज धोए नही धुलता।
सुनो तुम प्रार्थना मेरी
हो जग के तुम ही पालनहार
कहो कैसे मनाए हम
हमारा वश नही चलता।
करो तुम मुक्त इस जग को
कोरोना से,
प्रभु तेरी मर्जी बिन
तो पत्ता तक नही हिलता।
रश्मि लता मिश्रा
बिलासपुर सी जी
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