एस के कपूर श्री हंस

।।तुम हमें जरा पुकार कर तो देखो।।*
*।।ग़ज़ल।।  ।।संख्या  71 ।।*
*।।काफ़िया।।  ।।आर  ।।*
*।।रदीफ़।।।     ।। कर तो देखो ।।*
1
तुम हमें जरा पुकार कर तो देखो।
तुम हमें जरा निहार  कर त देखो।।
2
हमें बनाया ही  गया  है  तेरे  लिये।
तुम हमें जरा निखार कर तो देखो।।
3
तेरा इशारा काफी हर ऐब छोड़ने को।
तुम हमें  जरा  संवार  कर  तो   देखो।।
4
तेरे जलवों में महसूस करते आसमां पर।
तुम हमें जरा नीचे उतार कर तो देखो।।
5
गुजर गया एक जमाना मुलाकात को।
एक   लम्हा साथ गुजार कर तो देखो।।
6
*हंस* जान दे सकते तुम्हारी महोब्बत में।
कभी प्यार से  तुम दुलार कर तो देखो।।

*रचयिता।।एस के कपूर "श्री हंस"*
*बरेली।।।।*
मोब।।।।।।     9897071046
                    8218685464

।।विषय।।जीवन की कठनाई।।
*।।रचना शीर्षक।।*
*।।जो चट्टानों से निकले वह*
*झरना खास होता है।।*
*।।विधा।।  ।।मुक्तक।।*
1
जिन्दगी में  मुश्किलों का
हमेशा        वास होता है।
मरने के बाद   जलने का
भी नहीं एहसास होता है।।
निखरती है    मुसीबत से
शख्सियत भी         यारो।
जो चट्टानों से निकले  वो
झरना    खास    होता है।।
2
जीवन के रंगमंच पर  सब
का अभिनय    जरूरी   है।
मत कोसो    किस्मत  को 
ऐसी क्या    मजबूरी    है।।
बेवजह खुश रहिये   मिले
इससे    ऊर्जा        बहुत।
उत्साह खत्म     होने  का
कारण   तो मगरूरी    है।।
3
जिन्दगी    इक़   सफर है
बस         करते        रहो।
मंजिल   की  ओर  कदम
अपने     भरते          रहो।।
विजेता   रुकते   नहीं   हैं
कभी    भी जीत से पहले।
मत तुम चुनौतियों से जरा
भी       डरते             रहो।।
4
जानलो हर दर्द आदमी को
और   मजबूत   बनाता  है।
हर गलत     अनुभव बहुत
कुछ       सिखाता         है।।
आपकी मेहनत से    बदल
जाता है    हर        नतीज़ा।
वक़्त मुश्किल ही   तुम्हारी
ताक़त तुम्हें  दिखलाता  है।।
*रचयिता।।एस के कपूर "श्री हंस"*
*बरेली।।।।*
मोब।।।।।      9897071046
                    8218685464

।वक़्त खुद आईना बन कर दिखाता है।।*
*।।ग़ज़ल ।।। ।।संख्या 72 ।।*
*।।काफ़िया।। ।। आता ।।*
*।।रदीफ़  ।।    ।। जाता है।।*
1
कौन अपना    वक़्त ही     बताता  है।
आगे का रास्ता वक़्त ही   दिखाता है।।
2
वक़्त होता है        बहुत ताकत   वर।
क्या होगा आगे पहले नहीं जताता है।।
3
वक़्त की मार से हमेशा बचकर रहना।
दिन में तारे भी    वक़्त  दिखलाता  है।।
4
कोई नहीं है  जहाँ में   वक़्त से  ऊपर।
वक़्तआनेपाई का हिसाब रखवाता है।।
5
वक़्त डरता नहीं वक़्त से डर कर  रहो।
वक़्तअपने तरीके से दुनिया चलाता है।।
6
जो नहीं सुनते हैं वक़्त की आवाज़   को।
वक़्त फिर अपनी जुबां में समझाता है।।
7
*हंस* वक़्त की इज़्ज़त करो सुनो उसकी।
नहीं तो यही वक़्त आईना बन जाता है।।
*रचयिता।।एस के कपूर "श्री हंस"*
*बरेली।।।।*
मोब।।।।।        9897071046
                      8218685464

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