एस के कपूर श्री हंस

।।हर किसी के दिल में भरा इतना*

*दर्द क्यों है।। ग़ज़ल ।।  संख्या 61।।*
*।।काफ़िया।। अर्द्  ।।*
*।।रदीफ़।। क्यों है ।।*
1
हर किसी का    चेहरा   जर्द  क्यों है।
दिमागो में भरी   इतनी  गर्द  क्यों है।।
2
एक बात साफ  और कही सही गई।
बात के कई निकालते  अर्थ  क्यों हैं।।
3
लहू रगो में बहता मारता   नहीं उछाल।
बिना हरकत का खून इतना सर्द क्यों है।।
4
झूठ घूम रहा  सच का    ओढ़े नकाब।
कोई तो बताये बनी नकली फर्द क्यों है।।
5
 क्यों मानते  औरत को दोयम दर्जे का।
बन जाता सामने उसके बड़ा मर्द क्यों है।।
6
*हंस* क्यों नहीं रह सकते आपस में मिलकर।
सबके दिल में भरा हुआ इतना दर्द क्यों है।।

*रचयिता।। एस के कपूर "श्री हंस"*
*बरेली।।।।*
मोब।।।।।       9897071046
                     8218685464

।।पाकर तुझे जीने का बहाना मिल* *गया।।*
*।।ग़ज़ल।।    ।।संख्या  60 ।।*
*।।काफ़िया।। ।।आना ।।*
*।।रदीफ़।।  ।।मिल गया।।*
1
पाकर दोस्त तुझे जमाना मिल गया।
मानो कि   मुझे  खजाना मिल गया।।
2
पा    कर सब  हसरतें   हुई   हैं पूरी।
जब तुझ जैसा  परवाना मिल  गया।।
3
तुझको पाकर रुक गई ख्वाहिश मेरी।
कि मुझ जैसा कोई दीवाना मिल गया।।
4
तुझे पाकर पा ली   दौलत  जहान की।
जैसे मेरी मंजिल   ठिकाना मिल गया।।
5
मेरी हर पसंद नापसंद जुड़ी है  तुझसे।
मुझे तो मुहँ  मांगा  यराना   मिल गया।।
6
पाकर तुझे जैसे बदल गई जिन्दगी मेरी।
मुझे गाने को दोस्ती का तराना मिल गया।।
7
तू क्या मिला कि पा ली दौलत जहान की।
पढ़ने को बेहतरीन अफ़साना मिल गया।।
8
*हंस* और क्या क्या कहूँ तुझ को पाकर।
मुझे तो जैसे जीने का बहाना मिल गया।।
*रचयिता।।एस के कपूर "श्री हंस*"
*बरेली।।।।*
मोब।।।।।       9897071046
                     8218685464

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