एस के कपूर श्री हंस

।।हो सके तो तुम बस इंसान बन कर देखो।।

*।।ग़ज़ल।। ।।संख्या 74 ।।*
*।।काफ़िया।। ।। आन ।।*
*।।रदीफ़।। ।। बन कर देखो ।।*
1
हो सके तो तुम इंसान बन कर देखो।
खुद पर भी जरा गुमान कर देखो।।
2
जरूरी नहीं है बस आसमां को छूना।
महफ़िल का सदरे निशान बन कर देखो।।
3
नफ़रतों से तोड़ दो हर नाता तुम जरा।
जहाँ प्यार का सौदा वो दुकान बनकर देखो।।
4
जहाँ बरसे दौलत चाहिये वह महल नहीं।
अमनो चैन सुकून का मकान बनकर देखो।।
5
एक छत के तले रहे खुशी से पूरा कुनबा।
तुम बस प्रेम का खानदान बनकर देखो।।
6
तुम बन सकते मुल्क तरक्की के हिस्सेदार।
कोशिश हो मुल्क की शान बनकर देखो।।
7
इंसानियत की रोशनी कभी बुझने न पाये।
इस दुनिया के ऐसे मेहमान बन कर देखो।।
8
*हंस* बिना कहे काम आये हर किसी के।
तुम बस वह एहसान बन कर देखो।।

*रचयिता।।एस के कपूर "श्री हंस"*
*बरेली।।।।*
मोब।।।।। 9897071046
                    8218685464

।।रचना शीर्षक।।*
*।।रिश्तों की किताब खोल कर*
*पढ़ते रहा करिये।।*
*।।विधा।।मुक्तक।।*
1
रिश्तों की किताब खोल कर 
देखते रहा करिये।
मीठे बोल बोल कर भी
देखते रहा करिये।।
हर रिश्ता बहुत लाजवाब
अपने में होता है।
प्रेम के तराजू में तोल कर
देखते रहा करिये।।
2
रिश्तों का हिसाब महोब्बत
के पैमाने से होता है।
दिल से दिल तक एहसास
पहुंचाने से होता है।।
रिश्तें बदलना तुरंत दिल को
होता है महसूस।
रिश्तों का स्पर्श अपने गिरते
को उठाने से होता है।।
3
आप बांसुरी या बांस का तीर
बन सकते हैं।
रिश्तों की मिठास या बेवजह
तकरीर बन सकते हैं।।
आपके अपने हाथ है रिश्तों
को सहेज कर रखना।
आप चाहें हमदम हमराह हाथों
की लकीर बन सकते हैं।।

*रचयिता।।एस के कपूर "श्री हंस"*
*बरेली।।।।*
मोब।।।।।। 9897071046
                   8218685464

 *विषय - बाल कविता।।पतंग* 
*शीर्षक।।*
*आज हमको पतंग उड़ानी।*
*बिल्ली मौसी बड़ी सयानी।।*

*संशोधित*
............................................
बिल्ली मौसी बड़ी सयानी।
आज हमको पतंग उड़ानी।।
चलत चलत है इतरानी।
आसमान को है दिखानी।।
*आज हमको पतंग उड़ानी।*
*बिल्ली मौसी बड़ी सयानी।।*

दूर से आँखे हैं चमकानी।
बड़ो की तरह हैं धमकानी।।
नहीं अपनी पतंग कट जानी।
घूमे जैसे कि कोई दीवानी।।
*आज हमको पतंग उड़ानी।*
*बिल्ली मौसी बड़ी सयानी।।*

दूर से घूरे यूँ ही जुबानी।
हर दूजे पर रोब जमानी।।
सरपट दौड़े पतंग मरजानी।
दे दो ढ़ील समझो भाग जानी।।
*आज हमको पतंग उड़ानी।*
*बिल्ली मौसी बड़ी सयानी।।*

बस दिखती ऊपर से मरखानी।
अंदर से खोखली नादानी।।
बस तेज़ी फुर्ती खूब दिखानी।
समझे खुद को राकेट नानी।।
*आज हमको पतंग उड़ानी।*
*बिल्ली मौसी बड़ी सयानी।।*

उड़ाते ही हो जाये आसमानी।
कूद फांद की खूब कहानी।।
डोर खींच से ही शुरू शैतानी।
जल्दी से हाथ नहीं आनी।।
*आज हमको पतंग उड़ानी।*
*बिल्ली मौसी बड़ी सयानी।।*

*रचयिता।।एस के कपूर "श्री हंस"* 
*बरेली।।*
मोब।। 9897071046
                   8218685464

।।रचना शीर्षक।।*
*।।गुज़ारो यह जिन्दगी ईश्वर का*
*उपहार समझ कर।।*
*।।विधा।। मुक्तक ।।*
1
सफर जारी रखो धूल को 
गुलाल समझ कर।
सफर जारी रखो न कोई
मलाल समझ कर।।
जिन्दगी का सफर जरा
हंस कर गुज़ारो।
अपने काम में आनन्द लो
जलाल समझ कर।।
2
मत गुज़ारो जिन्दगी कोई
कारोबार समझ कर।
गुज़ारो यह जिन्दगी कोई
सरोकार समझ कर।।
किसी अर्थ को मिली प्रभु
का अनमोल वरदान।
गुज़ारो यह जिन्दगी ईश्वर
का उपहार समझ कर।।
3
मत गुज़ारो ये जिंदगी जीत
हार समझ कर।
सहयोग करो सबसे अपना
संस्कार समझ कर।।
जरूरत से ज्यादा रोशनी
बना देती है अंधा।
बस गुज़ारो ये जिंदगी जीने
की पुकार समझ कर।।
4
न रुको बढ़ने आगे मुश्किल
की दीवार समझ कर।
बल्कि बढ़ो आगे इसको तुम
पतवार समझ कर।।
कठनाई जाकर संवारती है
तुम्हारेआत्मविश्वास को।
तुम बढ़ो आगे इसको हिस्सा
किरदार समझ कर।।

*रचयिता।।एस के कपूर "श्री हंस"*
*बरेली।।।।*
मोब।।।।। 9897071046
                    8218685464

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