नूतन लाल साहू

अगर तुम मिल गये

प्रेमी ने प्रेमिका से कहां
मै तुम्हारे लिए
आसमान से तारे
तोड़कर ला सकता हूं
सूरज का सिर 
फोड़कर दिखा सकता हूं
तुम कहो तो
हिमालय की बर्फ जला दूं
इशारा करो तो
समुद्र में डुबकी लगा दूं
पर, उस जनाब से प्रश्न है कि
विवाह के उपरांत
क्या आदर्श पति के
कर्तव्य निर्वाह कर सकता है
क्योंकि ये किस्सा कहानी नहीं है
हमारे हिंदू धर्म के अनुसार
जन्मोजन्म का
जीवनसाथी होता है
और माता पिता तो
साक्षात ईश्वर का रूप होता है
उसके लिए,भावुक क्यों
 नहीं होता है
प्रेमी और प्रेमिका का जीवन
कुछ वर्षो तक तो
सुखमय रहता है
पर शादी होने के बाद
अक्सर बर्बादी शुरू होता है
इसका किसी को भी
पहले से पता नही चलता है
इसीलिए मैं सच कहता हूं
अगर शंकर पार्वती और
राधा कृष्ण,सीता राम जैसे
जीवन साथी मिल जाये तो
जीवन का हर दुःख
एक नया इतिहास लिखता है

नूतन लाल साहू

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