निशा अतुल्य

दोहा 
*मूर्ख दिवस*
1.4.2021

कैसी हँसी उड़ा रहे, मिलकर सारे आज
देखो कभी मजाक में,टूट न जाए साज।

मूर्ख दिवस कोई नहीं,सबकी अपनी सोच
कोई भोला है यहाँ, कहीं सोच में मोच।

झूठ कभी कहना नहीं,करवाता अपमान 
सच का दामन थाम कर,बढ़ता जग में मान ।

हँसी कभी न उड़ाइये,मोटी होती हाय 
काम सभी के आ सको, प्रभु हो सदा सहाय ।

मजाक कभी बुरा न हो,मत करना अपमान
देते जो सम्मान है,बढ़ता उनका मान।


स्वरचित
निशा"अतुल्य"

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