गीत मां
चंदन जैसी मां तेरी ममता ,
तेरी मिसाल कहां दूं मां ,,।
जनम मिले गर फिर धरती पर,
तेरा ही लाल बनूंगा मां,,,।
तूने कितनी रातें वारी ,
जाग जाग कर मुझे सुलाया ।
अपने नैनों की ज्योति से,
तूने मुझको जग दिखलाया ।
कैसे चुकाऊँ कर्ज़ दूध का ,
कितना मलाल करूंगा मां ,,
तेरी मिसाल कहाँ दूं मां ,,,
जनम मिले गर,,,,,।
चल कर खुद तपती राहों में,
तूने मुझको गोद उठाया ।
नज़र लगे ना कभी किसी की
काला टीका सदा लगाया ।
मेर जीवन का तू हिसाब थी ,
किससे सवाल करूंगा मां ।
तेरी मिसाल कहाँ दूं मां ,,,।
जनम मिले गर,,,,
जीवन पथ से काँटे चुनकर,
तूने सुंदर फूल सजाया ।
मां ना कभी कुमाता होती ,
औलादों ने भले रुलाया ।
धरती नदिया पर्वत अम्बर ,
तेरी मिसाल कहाँ दूं मां ।
जनम मिले गर,,,
तेरे पावन अमर प्यार को ,
मैं नादां था समझ न पाया ।
ईश्वर भी ना तुझसे बड़ा है,
अब यह मेरी समझ में आया।
आंचल में फिर मुझे छुपा ले ,
तेरा ख्याल रखूंगा मां,,,।
तेरी मिसाल कहां दूं मां ।
जनम मिले गर ,,,,।
गीतकार
सुषमा दीक्षित शुक्ला लखनऊ
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दिनांक 10,04,2021
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