सुषमा दीक्षित शुक्ला

गीत     मां 

चंदन जैसी मां तेरी ममता ,
तेरी मिसाल कहां दूं मां ,,।
जनम मिले गर  फिर धरती पर,
 तेरा ही लाल बनूंगा मां,,,।

 तूने  कितनी रातें वारी ,
जाग जाग कर मुझे सुलाया ।
अपने नैनों की ज्योति से,
 तूने मुझको जग दिखलाया ।

कैसे चुकाऊँ कर्ज़ दूध का ,
कितना मलाल करूंगा  मां ,,
तेरी मिसाल  कहाँ दूं मां ,,,
जनम मिले गर,,,,,।

 चल कर खुद तपती राहों में,
 तूने मुझको गोद उठाया ।
नज़र लगे ना कभी किसी की
 काला टीका सदा लगाया ।

मेर जीवन का तू हिसाब थी ,
किससे सवाल करूंगा मां । 
तेरी मिसाल कहाँ दूं मां ,,,।
जनम मिले गर,,,,

जीवन पथ से काँटे चुनकर,
 तूने सुंदर फूल सजाया ।
मां ना कभी कुमाता होती ,
औलादों ने भले रुलाया ।

 धरती नदिया पर्वत अम्बर ,
 तेरी मिसाल कहाँ दूं मां ।
जनम मिले गर,,,

तेरे पावन अमर प्यार को ,
मैं नादां था समझ न पाया ।
ईश्वर भी ना तुझसे बड़ा है,
 अब यह मेरी समझ में आया।

 आंचल में फिर मुझे छुपा ले ,
तेरा ख्याल रखूंगा मां,,,।
 तेरी मिसाल कहां  दूं मां ।
जनम मिले गर ,,,,। 

गीतकार 
सुषमा दीक्षित शुक्ला  लखनऊ
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दिनांक 10,04,2021

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