।।रचना शीर्षक।।*
*।।प्रभु ने यह जीवन दिया है*
*किसी के उद्धार के लिए।।*
*।।विधा।।मुक्तक।।*
1
इंसान की बातों से इंसान
का पता चलता है।
उजालों के बाद रातों का
पता चलता है।।
वक़्त चेहरे से चेहरे उतार
कर देता है रख।
कर्मों से व्यक्ति भाग्य खातों
का पता चलता है।।
2
ईश्वर ने सांसें दी है इस संसार
में सरोकार के लिए।
यह जीवन मिला है सहयोग
परोपकार के। लिए।।
केवल खुद के लिए ही जीना
पर्याप्त नहीं होता।
प्रभु ने जन्म दिया पीडित को
खुशी उपहार के लिए।।
3
जानलो कर्मों की फसल संबको
काटनी पड़ती है।
अपनी करनी भी संबको ही
छाँटनी पड़ती है।।
अपना किया सबको भोगना ही
है पड़ता।
इसी जीवन में अपनी भूल हमें
चाटनी पड़ती है।।
*रचयिता।।एस के कपूर "श्री हंस"*
*बरेली।।।।*
मोब।।।।।। 9897071046
8218685464
।विषय।।दर्पण।।*
*।।रचना शीर्षक।। दर्पण*
*न्यायाधीश है ,सच और झूठ*
*दिखाने का।।*
*विधा।।मुक्तक।।*
1
मन से पूछो कि मन में
क्या रहता है।
जान लो कि मन में प्रभु
का वास बहता है।।
मन की सुनो कि मन
झूठ बोलता नहीं।
ईश्वर भीअंतर्मन को *दर्पण*
कहता है।।
*दर्पण* सच का केवल
शीशा ही नहीं है।
तेरे सामने बताता कि तू
गलत कहीं है।।
*दर्पण* न्यायाधीश है सच
और झूठ का।
दिखाता *दर्पण* कि सत्य
यहीं वहीं है।।
टुकड़े टुकड़े होकर भी
*दर्पण* रुकता नहीं है।
झूठ के सम्मुख कोई
अंश झुकता नहीं है।।
झूठ में हिम्मत नहीं *दर्पण*
सामना करने की।
क्योंकि झूठ *दर्पण* सामने
टिकता नहीं है।।
*दर्पण* बताता कैसे आत्म
अवलोकन करना है।
सिखाता कैसे झूठ का
अवरोधन करना है।।
*दर्पण* को मान कर चलें
शिक्षक समान।
*दर्पण* दिखाता अंतःकरण
का शोधन करना है।।
*दर्पण* को झूठ से चिढ़ है
सत्य अर्पण कीजिये।
अपनी अंतरात्मा का भी
रोज़ *दर्पण* कीजिये।।
प्रतिदिन स्वीकार करें त्रुटि
*दर्पण* समक्ष जाकर।
मान कर देव तुल्य आप
बस समर्पण कीजिये।।
*रचयिता।।एस के कपूर "श्री हंस"*
*बरेली।।।*
मोब।। 9897071046
8218685464
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