*चौपाइयाँ*(देश-भक्ति)
देश-भक्ति की शुद्ध भावना।
सदा रहे हर जन का सपना।।
देश-भक्ति यदि भाव नहीं है।
पत्थर-दिल इंसान वही है।।
राष्ट्र-प्रेम है प्रेम निराला।
देश हेतु मर-मिटने वाला।।
चाहे राष्ट्र समर्पण पूरा।
इसे न भाए भाव अधूरा।।
राष्ट्र-धर्म ही मात्र धर्म है।
त्याग राष्ट्र-हित सुखद कर्म है।।
धर्म सनातन कहता अपना।
राष्ट्र-सुरक्षा करते रहना।।
देश-भक्ति का गीत सुहाना।
सब जन को है नित-नित गाना।।
©डॉ0हरि नाथ मिश्र
9919446372
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