*चौपाइयाँ*
प्राण-वायु के रक्षक तरुवर।
ये उपयोगी सबसे बढ़कर।।
सुंदर पुष्प,मधुर फल देते।
कभी न कुछ बदले में लेते।।
देव समान वृक्ष को जानो।
इसकी महिमा को पहचानो।।
जहाँ रहे हरियाली छाई।
सारी खुशियाँ आएँ धाई।।
वृक्ष वृष्टि के कारक होते।
कटें अगर ये,सुख सब खोते।।
इनको कभी न कटने देना।
यदि जीवन में सुख है लेना।।
आओ मिलकर वृक्ष लगाएँ।
जीवन अपना सुखी बनाएँ।।
हरा-भरा जंगल ही प्यारा।
सुख का रहता सदा सहारा।।
"©डॉ0हरि नाथ मिश्र
9919446372
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें