एस के कपूर श्री हंस

*।।विषय।।।।मजदूर दिवस।।*
*।।रचना शीर्षक।।कॅरोना संकट और प्रवासी मजदूरों का पलायन।।*
*।।विधा।।मुक्तक।।*
1
क्या सोच कर वह हज़ारों मील
नंगे पांव   चला   होगा।
कितना   दर्द   उसके  सीने  के 
भीतर     भरा       होगा।।
सवेंदना शून्य रास्तों पर     कैसे
बच्चों ने होगा कुछ खाया। 
जाने कब तक यह जख्म उसके
सीने में    हरा        होगा।।
2
प्रवासी से आज फिर  से     वह
स्वदेशी   हो    गया    है।
लौट कर वापिस  अपनी   मिट्टी
फिर प्रवेशी हो गया है।।
कुछ जड़े कहीं  तो   कुछ  कहीं
अब   गई हैं बिखर सी।
अपनो के बीच भी लगता   जैसे
परदेसी ही   हो गया  है।।
3
पाँव  चल  रहा  था  और    पांव
जल       रहा        था।
अरमान टूट रहे  थे और  परिवार
कैसे    पल   रहा था।।
फूट रहे थे सब सपने और बिखर
रहा था संसार उसका।
मजदूर अपनी आँखों  में     आज  
खुद  ही खल रहा था।।
4
जरूरत है उसको   हमारे    और 
अपनों के      याद     की।
फिर से जोड़ने   तिनका  तिनका
उन सपनों   के साथ की।।
सरकार को भी आगे    चल   कर
उसका हाथ थामना होगा।
लगाने को मरहम    उन      रिसते 
जख्मों पर प्यारे हाथ की।।

*रचयिता।एस के कपूर "श्री हंस* "
*बरेली।*
मो।।             9897071046
                    8218685464

।।गजल।। संख्या 90।।*
*।।काफ़िया।। उम्मीद।दीद। खरीद*। *तसदीक।नज़दीक।तरकीब*। *रदीफ़।*
*मुरीद।करीब। फ़रीद।।*

*।।रदीफ़।। जिंदा रखना।।*
1
हमेशा जीने की उम्मीद   जिंदा   रखना
सबके लिए दिल में    दीद जिंदा रखना
2
वक़्त बहुत नाजुक जगह नहीं नफ़रत की
हमेशा महोब्बत की खरीद  जिंदा रखना
3
हर हालात में हमें जीत कर ही आना है
इस बात की भी  तसदीक जिंदा रखना
4
कभी आँख के आँसू   सूखने    नहीं देना
सबका दर्द दिल के नज़दीक जिंदा रखना
5
वक़्त पर काम आयें सब एक  दूसरे के
हमेशा ऐसी कोई तरकीब जिंदा रखना
6
 यूँ ग़ज़लें कहती रहें हालाते ज़िंदगी पर
ऐसी गज़लों के लिए रदीफ़ जिंदा रखना
7
एक ही मिली है जिंदगी  मिलेगी न दुबारा
खुद को बना सबका मुरीद जिंदा रखना
8
शुकराना अदा करो हमेशा ऊपरवाले का
किसीकी तकलीफ़ दिल करीब जिंदा रखना
9
*हंस* चंद सांसें मिली तुमको चार दिन के लिए
खुद को बना कर आदमी  फ़रीद जिंदा रखना

*रचयिता।।एस के कपूर "श्री हंस"*
*बरेली।।।।*
मोब।।।।।        9897071046
                      8218685464

दीद             प्रसंशा।उत्साहवर्धन
तसदीक       प्रमाणिकता

फ़रीद           बेमिसाल बेहतरीन
                    नायाब   अनुकरणीय
                    उदाहरण योग्य


।।रचना शीर्षक।।*
*।।वही काटता है व्यक्ति, जो वो*
*बोता है।।*
*।।विधा।।मुक्तक।।*
1
मन की अदालत का  फैंसला
जरूर    सुना   करो।
अंतर्मन की बात को       तुम
जरा      गुना    करो।।
कहते हैं अंतर्मन में  परमात्मा
का वास     होता  है।
ईश्वर का    आदेश   मान कर
उसे न अनसुना करो।।
2
दिल की अदालत का फैंसला
गलत नहीं होता है।
जो मानता नहीं समय से  वह
फिर आगे   रोता है।।
दूसरे की देखने से  पहले जरा
अपनी गलती  देखो।
यही नियम कि वही     काटता
व्यक्ति जो   बोता है।।
3
जियो और जीने दो का      तंत्र
रखो    जीवन   में।
सद्भावना व सहयोग का     यंत्र
रखो     जीवन   में।।
जीवन को बनायो तुम   उदाहरण
योग्य सबके    लिये।
भाग्य नहीं केवल कर्मशीलता का
मंत्र रखो जीवन में।।

*रचयिता।।एस के कपूर "श्री हंस"*
*बरेली।।।।*
मोब।।।।।        9897071046
                      8218685464

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