नंदलाल मणि त्रिपाठी पीताम्बर

चाहतो के दिये जलाए रखिये
चाहतों कि हद से गुजरना सीखिये।।

चाहते है तो जिंदगी जिंदा चाहतों का मीट जाना जिंदगी का मीट जाना।।

चाहत जज्बा है जिंदगी का करम करिश्मा है चाहत है तो भगवान खुदा की कायनात में जिंदगी जिंदा।।

चाहतों कि तकदीर तारीख के वजूद  जिंदा  चाहत जिंदगी को जीने का अंदाज़ ।।                                   चाहते जमीं आसमान चाहते इम्तेहान 
चाहते कोशिशों को अंजाम चाहत दिल की आवाज़।।

चाहत आरजू हकीकत नाज़ चाहत ताकत चाहत किस्मत चाहत से मिल जाते खुदा भगवान।।

चाहत ऊंचाई चाहत गहराई चाहत शोला शबनम आग की राह चाहत से तारीखे बनती  चाहत से ही जंगो के मैदान।।
चाहत  इश्क मोहब्ब्त चाहत की दुनियां बाज़ार चाहत का कोई मोल नही चाहत का कोई तोल नही।।

चाहर पर ज़ोर नही चाहत शोर नही
चाहत से सूरज की किरणें चाहत से चाँद चाँदनी का अरमान।।

चाहत मोहब्बत की बुनियाद चाहत में चालाकी नही जम्हूरियत चालाकी नही चाहत मासूम मासूमियत जज्बा जज़्बात।।
चाहत का आकाश बनते विगड़ते हालात चाहत दिल सांसों धड़कन से
निकली निःशब्द निस्वार्थ आवाज़।।

नंदलाल मणि त्रिपाठी पीताम्बर गोरखपुर उत्तर प्रदेश

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