🚩 *सुप्रभातम्*🚩
*मधु के मधुमय मुक्तक*
🌷🌷🌷🌷🌷🌷
🌹🌹 *हस्ताक्षर*🌹🌹
---------------------------------
◆ हस्ताक्षर पहचान है , यही बताता मोल।
जहाँ चले भाषा यही , चले न कोई बोल।
सत्य सिद्ध करता सदा, नीति नियम की बात,
हस्ताक्षर को मान लो, संविधान का गोल।।
◆ शिक्षित हस्ताक्षर करे , लिखित बढ़ाए मान।
लगा अँगूठा मानते, इसका यही निदान।
सोच समझ पढ़ कर करो, हस्ताक्षर सब जान,
छल कपटी से यह करे, मनुज को सावधान।।
◆ हस्ताक्षर देता सदा, मानव को संकेत।
अक्षर का कर ज्ञान लो, बन जाओ अनिकेत।
जहाँ बसे अज्ञानता, मानव जीवन मूल।
ढह जाए वह स्वयं ही, जैसे टीला रेत।।
◆ हस्ताक्षर से स्वयं की, सोच बने संकल्प।
यही सतत मानें सभी, इसका नहीं विकल्प।
चेतन मन संज्ञान से, मानव बने महान,
हस्ताक्षर है दीर्घता, मान नहीं यह अल्प।।
*मधु शंखधर स्वतंत्र*
*प्रयागराज*✒️
*29.05.2021*
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें