देवानंद साहा आनंद अमरपुरी

...................टूटती उम्मीदों की उम्मीद.................

विषम परिस्थितियों में है , टूटती उम्मीदों  की उम्मीद।
भगवान,अल्लाह,वाहेगुरु, बस एक आपकी उम्मीद।।

साल दर साल , विषाणु , फफूँद आदि  का आक्रमण;
सारे तंत्र  हो रहे  हैं असफल  तो आपसे  ही उम्मीद।।

हर बार तुफान के नये नये नाम,यस,आमफानआदि;
हर तरह की परेशानियों में बस आपकी  ही उम्मीद।।

नेताओं की  राजनीति , एक दूसरे  की टाँग खिंचाई;
देश और  जनता  को है  इनसे  कोई  नहीं  उम्मीद।।

सब कहते रहते हैं कि  उनलोगों ने कुछ  नहीं किया;
कोई नहीं कहते हमने क्या किया, तो कैसी उम्मीद?

व्यवसाय में अंग्रेजी में एक मुख्य शब्द है"कष्टोमर";
जनता कष्टों से ही मर , पर कुछ कर  नहीं उम्मीद।।

इतने तप करने के बाद,मनुष्ययोणि में जन्म लेकर;
कैसे रहें "आनंद",आपको छोड़कर है कहीं उम्मीद?

----------------------देवानंद साहा "आनंद अमरपुरी"

कोई टिप्पणी नहीं:

Featured Post

दयानन्द त्रिपाठी निराला

पहले मन के रावण को मारो....... भले  राम  ने  विजय   है  पायी,  तथाकथित रावण से पहले मन के रावण को मारो।। घूम  रहे  हैं  पात्र  सभी   अब, लगे...