"काव्य रंगोली परिवार से देश-विदेश के कलमकार जुड़े हुए हैं जो अपनी स्वयं की लिखी हुई रचनाओं में कविता/कहानी/दोहा/छन्द आदि को व्हाट्स ऐप और अन्य सोशल साइट्स के माध्यम से प्रकाशन हेतु प्रेषित करते हैं। उन कलमकारों के द्वारा भेजी गयी रचनाएं काव्य रंगोली के पोर्टल/वेब पेज पर प्रकाशित की जाती हैं उससे सम्बन्धित किसी भी प्रकार का कोई विवाद होता है तो उसकी पूरी जिम्मेदारी उस कलमकार की होगी। जिससे काव्य रंगोली परिवार/एडमिन का किसी भी प्रकार से कोई लेना-देना नहीं है न कभी होगा।" सादर धन्यवाद।
आशुकवि रमेश कुमार द्विवेदी चंचल
पावनमंच को मेरा शत शत नमन व वन्दन तथा अक्षय तृतीया की ढेरों ढेरू बधाई ,आज की रचनाओं का अवलोकन करें.... बैशाख कै माह उजारो था पाखु तृतीया तिथी कसु नीकु सुहाई।। वेद बखानतु याहि तिथी अक्षय भण्डारू भरैं जु लुगाई।। याकु विशेषु है अऊर भयी रेणुका गोदिया यकु पूत है आई।। भाखत चंचल रिसि जमदग्नि खुशी बहु नीकु औ बाजै बधाई।।1।। मंगलगान गुँजै चहुँओरू औ वटुकनु मन्तर वेद सुनाई।। ढोलु कै थाप बजै दिनुरैनु औ नाचि रहीं सखियाँ अँगनाई।। पोथिनु खोलि के बाँचै रिसी छह योगु सुनीकु परा जौ देखाई।। भाखत चंचल फूलो समाय ना बालकु विष्णु कै रूपनु आई।।2।। याकु समय कर बातु लिखी यकु देव जो उत्तिमु धेनु अँटाई।। बात विशेषु रही यहिमा रिसि खर्चनु पूरो करो यहू गाई।।। राजनु याकु अँटे तबु आश्रम धेनु पै मोहितु वै ह्वै जाई।। भाखत चंचल माँगतु धेनु औ नाही कहे रिसी मारि गिराई।।3।।। क्रोधी भयो परशुराम तबै अरू ठान्यो शपथु क्षत्री नु नसाई।। बार इक्कीस विनाशु भयो तबु अंजनीपुत्र धरानु बचाई।। राम कहो परशुराम जपो कलिकालु करालु धरानु पै आई।। भाखत चंचल अमर सपूत जो रेणुका देवी की कोखनु आई।।4।। आशुकवि रमेश कुमार द्विवेदी, चंचल।।ओमनगर,सुलतानपुर, उलरा,चन्दौकी, अमेठी,उ.प्र.।मोबाइल...8853521398,9125519009।।
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