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आशुकवि रमेश कुमार द्विवेदी चंचल
पावनमंच को मेरा शत शत नमन व वन्दन तथा अक्षय तृतीया की ढेरों ढेरू बधाई ,आज की रचनाओं का अवलोकन करें.... बैशाख कै माह उजारो था पाखु तृतीया तिथी कसु नीकु सुहाई।। वेद बखानतु याहि तिथी अक्षय भण्डारू भरैं जु लुगाई।। याकु विशेषु है अऊर भयी रेणुका गोदिया यकु पूत है आई।। भाखत चंचल रिसि जमदग्नि खुशी बहु नीकु औ बाजै बधाई।।1।। मंगलगान गुँजै चहुँओरू औ वटुकनु मन्तर वेद सुनाई।। ढोलु कै थाप बजै दिनुरैनु औ नाचि रहीं सखियाँ अँगनाई।। पोथिनु खोलि के बाँचै रिसी छह योगु सुनीकु परा जौ देखाई।। भाखत चंचल फूलो समाय ना बालकु विष्णु कै रूपनु आई।।2।। याकु समय कर बातु लिखी यकु देव जो उत्तिमु धेनु अँटाई।। बात विशेषु रही यहिमा रिसि खर्चनु पूरो करो यहू गाई।।। राजनु याकु अँटे तबु आश्रम धेनु पै मोहितु वै ह्वै जाई।। भाखत चंचल माँगतु धेनु औ नाही कहे रिसी मारि गिराई।।3।।। क्रोधी भयो परशुराम तबै अरू ठान्यो शपथु क्षत्री नु नसाई।। बार इक्कीस विनाशु भयो तबु अंजनीपुत्र धरानु बचाई।। राम कहो परशुराम जपो कलिकालु करालु धरानु पै आई।। भाखत चंचल अमर सपूत जो रेणुका देवी की कोखनु आई।।4।। आशुकवि रमेश कुमार द्विवेदी, चंचल।।ओमनगर,सुलतानपुर, उलरा,चन्दौकी, अमेठी,उ.प्र.।मोबाइल...8853521398,9125519009।।
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