सुनीता असीम

इक बार कृष्ण मेरी     गुज़ारिश तो देखिए।
बस आपको रिझाने की कोशिश तो देखिए।
****
हो दर्द की लहर या सुखों की फुहार हो।
पर नाम की तेरे ही निबाहिश तो देखिए।
****
मैं डूबती  दुखों  में   हमेशा   रहूं  कहो।
इक बार मुझ गरीब की गर्दिश तो देखिए।
****
कितना बुझाओ अग्नि विरह बुझ नहीं सकी।
बुझती हुई सी राख में आतिश तो देखिए।
****
दिल की धरा थी सूखी था वीरान सा जहाँ।
उसपर हुई है नाम की बारिश तो देखिए।
****
सुनीता असीम
२७/५/२०२१

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें

अखिल विश्व काव्यरंगोली परिवार में आप का स्वागत है सीधे जुड़ने हेतु सम्पर्क करें 9919256950, 9450433511