"काव्य रंगोली परिवार से देश-विदेश के कलमकार जुड़े हुए हैं जो अपनी स्वयं की लिखी हुई रचनाओं में कविता/कहानी/दोहा/छन्द आदि को व्हाट्स ऐप और अन्य सोशल साइट्स के माध्यम से प्रकाशन हेतु प्रेषित करते हैं। उन कलमकारों के द्वारा भेजी गयी रचनाएं काव्य रंगोली के पोर्टल/वेब पेज पर प्रकाशित की जाती हैं उससे सम्बन्धित किसी भी प्रकार का कोई विवाद होता है तो उसकी पूरी जिम्मेदारी उस कलमकार की होगी। जिससे काव्य रंगोली परिवार/एडमिन का किसी भी प्रकार से कोई लेना-देना नहीं है न कभी होगा।" सादर धन्यवाद।
आशुकवि रमेश कुमार द्विवेदी चंचल
पावनमंच को मेरा प्रातःकाल का प्रणाम ,आज की रचना विचारणीय तथ्य संवेदनात्मक विषय।। किसान।। का स्पर्श किया है,अवलोकन करें... श्रमुशीलु किसानु सदा ही रहा अरू फोरि पहारू ते भूख मिटावै।। किसान कही या कही मजदूर जे रैनुदिना नित खेतु बितावै।।। एड़ी पसीना हू चोटी चढै़ चहय होवै धूप या शीत बरसातनु आवै।। भाखत चंचल कर्ज भा जनम औ कर्जै मँहय निज प्रानु नसावै।।1।।। भूख मिटावतु वा सबु जीव इन्सानु कही पशु पक्षी गनाई।।। उत्तिमु फसिलु बजारि अँटाई औ निम्ननु तै परिवारू चलाई।। भूख औ प्यासु करै वरदासु औ कूलर एसिनु सपनौ ना आई।। भाखत चंचल जेठु खरौ मँहय वृक्ष तरै नित छाँवहु जाई।।2।। सत्तरु सालु अजादी भयी मुल याहु गरीबी अजहुँ नहि जाई।।। आई गयीं सरकारू तमाम मुला यनकय कैऊ ध्यानु ना लाई।। इतिहासु बतावतु बाति इहय यै कर्जु लयै जौ महाजनु जाई।। भाखत चंचल ब्याजु चुकी नहिमूल कै बाति हौं काव बताई।।3।।। महाजनु तौ गयै अबहूँ मुला गाँवनु गाँव मा बैंक देखाई।। ब्याजू मा आई कमी ना अबौ अजहूँ निजुघातिनु दाँव लगाई।। खानु औ पानु कहाँ सुविधानु औ शिक्षा व्यवस्था तौ जौनु कहाई।। शिक्षा व्यवस्था तौ दोहरी चलै चंचल तिन्ह बालु मदरसनु जाई।।4।। केहु केहू श्वानु ना भावत दूध किसाननू पूत ना दूध दवाई।।। नेतै घुमै नित एसिनु कारू चहे परधानु विधायकु भाई।। नोकरी मँहय तनखाहय कमी तेहि बाढ़ति चन्द्रकलानु की नाईं।। भाखत चंचल यहि सरकारू ई बैइठै सदन मुल ध्यानु ना लाई।।5।। आई नयी सरकारू जबैबस पाँचै शतक मँहय काम चलाई।। नेतनु कै मँहगाई बढै़ नित वेतनू तौ अम्बरू चढि़ धाई।। किसानु कै बालक चूल्है तकैं औ गुरूवन कै तकदीरू बधाई।। आयै सजी पंचायत नित औ चंचल पूत जो खेलु बिताई।।6।।। फेलु ना होवहि पूत किसानु गयै हाई स्कूल औ गनतिऊ ना आई।। अशिक्षितु पैदा भवा जौ किसानु समानु सबै परधाननु खाई।। ग्यानु भवा अजहूँ ना किसानु समानु सबै कहँय काव गनाई।। भाखत चंचल काव कही शौचालय देखु परधानु रचाई।।7।। आशुकवि रमेश कुमार द्विवेदी, चंचल। ओमनगर,सुलतानपुर, उलरा ,चन्दौकी, अमेठी ,उ.प्र.।। मोबाइल...8853521398,9125519009।। जय हिन्द ,जय भारत, जय जय जय धनवन्तरि,गाँव देहात की खबर शहर पर भी नजर,द ग्राम टुडे ।।दैनिक ,साप्ताहिक व मासिक मैग्जीन ,यूट्यूव चैनल के साथ।। प्रोडक्ट प्रचारक व सेल्स इक्जीक्यूटिव डी बी एस प्रा.लि. कोलकाता, एल आई सी आफ इंडिया।।सलाहदाता।। भारत।।
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