-; हर तरफ धुआं धुआं -;
हर तरफ धुँआ धुँआ ,
हर शख्स सहमा हुआ ।
कौन किससे क्या कहे,
सांत्वना के पंख टूटे ।
एक लहर से त्राहि माम् हुआ
हर तरफ धुँआ ---------
किसी की हो रही कमाई,
किसी कि श्वासें थम गई ।
रहस्य क्या ये चल रहा ,
कैसी साजिश कहर बरपा हुआ।
हर तरफ धुँआ---------------
आंकड़ो के इस खेल में ,
सीढ़ी सर्प कौन कर रहा ?
होते होते स्वस्थ कैसे ,
दुनियां से वो विदा हुआ।
हर तरफ धुँआ धुँआ------------
जैविक युद्ध माहिरों ने,
क्रूर दानवों सा छल किया।
जयचंदी करिश्मो से ,
देश अपना क्या से क्या हुआ ।
हर तरफ धुँआ धुँआ ,
हर शख्स सहमा हुआ ।
डॉ अर्चना प्रकाश
लखनऊ ।
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