वैदेही💖
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जगत के हरने क्लेश अनेक।
मही से निकली कन्या एक।।
सुनयना माता की सन्तान।
पिता श्री राजा जनक महान।।
भवानी-शंकर की प्रिय भक्त।
सदा से रहीं राम-अनुरक्त।।
बसे हैं जिनके हिय में राम।
उन्हीं का पावन सीता नाम।।
अलौकिक शोभा की हैं खान।
अथक रसना करती गुणगान।।
निहारे कण-कण रूप अनूप।
पूजते मुनिजन निर्धन-भूप।।
विकारी दंभी अति लंकेश।
बदल जब आया अपना वेश।
हारने ही थे उसको प्राण।
तभी होना था जग-कल्याण।।
विहँसता रहे सदा संसार।
मुदित मन करता जय जयकार।।
जिसे हैै प्रेम-दया का बोध।
पार वह करता हर अवरोध।।
जगत जननी को कोटि प्रणाम।
विराजें नित्य हृदय के धाम।।
रूप शुचि शीतल चन्द्र समान।
'अधर' पर अनुपम है मुस्कान।।
विशेष:---वैशाख शुक्ल नवमी,आज के दिन ही मघा नक्षत्र में श्री सीता माता जी का प्राकट्य हुआ था। आप सभी को श्री #सीता नवमी की हार्दिक शुभकामनाएँ एवं बधाई...☺️💞🌹🌺🌷
आप आत्मीयजनों से अनुरोध है #कोरोना को हराना है🔥,तो कृपया #जीवन-रक्षक निर्देशों का पालन अवश्य करें। सदैव शुभ हो।🙏🌹
#शुभा शुक्ला मिश्रा 'अधर'❤️✍️
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