निशा अतुल्य

सृजन अभिव्यक्ति
हाइकु
5,7,5
23.5.2021

बीती वो बातें
जगाती जब रातें
भीगा तकिया ।

वो साथ चले
मोड़ आया वो मुड़े 
रहे अकेले ।

दर्द है मेरा
निःशब्द शोर तेरा
कौन समझा ।

हर सवेरा
कोलाहल ले आया
बीती रात का ।

उठा कदम
रहना सातजन्म 
हमकदम ।

स्वरचित
निशा"अतुल्य"

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