विनती गीत
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बचा लो अपना यह संसार।
सृष्टि के पालक रचनाकार।।
पुकारे आर्त कंठ मन प्राण।
तुम्ही से होना है कल्याण।।
कृपा किंचित कर दो भगवान।
कहा अब इतना लो प्रभु मान।।
रहेगा याद सदा उपकार।
बचा लो अपना यह संसार।।
सृष्टि के•••••••••••••••••।।
भँवर के मध्य रहा जग झूल।
करोगे कब स्थिति अनुकूल?
विकल हिय चित्त हुआ अति क्लांत।
विवश उद्विग्न अथाह अशान्त।।
मिटा दो बढ़ते कष्ट-विकार।
बचा लो अपना यह संसार।।
सृष्टि के••••••••••••••••।।
जगत में फैली है जो व्याधि।
मिटा देगी क्या ईश-उपाधि?
रहेंगे अगर न जीव विशेष।
कहो क्या रह जायेगा शेष?
भयावह कोरोना को मार।
बचा लो अपना यह संसार।।
सृष्टि के•••••••••••••।।
करो अब विस्मृत सब अपराध।
करो पूरी हर मन की साध।।
मुदित होकर हे दीनानाथ!
सदा देना पीड़ा में साथ।।
सुनो प्राणी की करुण पुकार।
बचा लो अपना यह संसार।।
सृष्टि के पालक••••••••••।।
खुशी के दीप जलें दिन-रात।
करें हिय सदा परस्पर बात।।
बुझे दुख द्वेष द्रोह की आग।
रहे चिरकाल 'अधर' अनुराग।।
सभी को दो ऐसा उपहार।
बचा लो अपना यह संसार।।
सृष्टि के पालक••••••••••।।
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आप आत्मीयजनों से अनुरोध है #कोरोना को हराना है🔥,तो कृपया जीवन-रक्षक निर्देशों का पालन अवश्य करें।सदैव शुभ हो।🙏🌹
शुभा शुक्ला मिश्रा 'अधर'❤️✍️
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