निशा अतुल्य

आज हिन्दी पत्रकारिता दिवस की शुभकामनाएं व बधाई सभी पत्रकार बंधुओ को समर्पित 
30.5.2021

मैं एक विचार हूँ 
चलता फिरता व्यवहार हूँ 
समाज का हूँ आइना 
मैं पत्रकार हूँ ।
क़लम मेरी धारदार
लिखती बहुत कमाल
सत्य का दर्पण बने 
बस मेरी ये पुकार ।
क़लम कभी न मौन हो
चाहे छाया अंधकार हो
गुणगान करे किसी का ये
ऐसा न व्यापार हो ।
कुछ राग अपना गा रहे
पत्रकारिता लज्जा रहे
झूठ को बनाके सच
समाज को भरमा रहे ।
असत्य की खोज कर 
सत्य की तेज धार हो 
देश न कभी बंटे 
न आत्मा पे वार हो।
निडर गुणवान पत्रकार
धर्म अपना निभा 
पत्रकारिता है बड़ा स्तम्भ 
देश को सदा बता ।

स्वरचित
निशा"अतुल्य"


हाइकु 
5,7,5 वर्णिक विधा
30.5.3021

तू चला था क्या
साथ हमसफ़र 
या ख़्वाब टूटा ।

आसान राह
नहीं है कोई यहाँ
मुश्किल है तू ।

ओस की बूंद
कौन था रोया यहाँ 
अकेली रात ।

उदास रात
चाँद तारें है कहाँ
पूछे पहर ।

अंधेरी भोर
है बादलों का शोर
पँछी हैं कहाँ ।

कोटर सूना
घोंसला हुआ जूना
उड़ा परिंदा।

निःशब्द शोर
ये कैसी हुई भोर
नहीं है कोई ।

बीते ये रात
हो उजली सहर
प्रतीक्षा रत।

छोड़ दे अब
निराशा का आँचल
बीतेगी निशा ।

स्वरचित 
निशा"अतुल्य"

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