नूतन लाल साहू

पहचान

संस्कार का बीज
माता पिता ने जो बो दिए है
भविष्य में एक दिन
बनकर फसल लहराएंगे
मानाकि इस कलियुग में
विकल ईमान है,पर
संस्कृति और संस्कारो का वास है
इसीलिए श्रेष्ठ हिंदुस्तान है
हम कलियुग से,काहे को डरे
जब माता पिता गुरु का
दुआओं ही दुआओं की सौगात है
मैं हिंदुस्तानी हूं
यही मेरी पहचान है
घड़ी की सुइयां
समय का बोध कराने के लिए बनी है
सब जानते है
समय बड़ा बलवान है
सभी मानते है
पर,बुजुर्गो के मान सम्मान आशीर्वाद से
संवरता है,इंसान का भाग्य
टूटते हुए उम्मीदों में उम्मीद की किरणें
दिखाता है,माता पिता गुरु का आशीर्वाद
इसीलिए तो,श्रेष्ठ है हिंदुस्तान
मैं हिंदुस्तानी हूं
यही मेरी पहचान है
जहां माता पिता  का पग छुवे
गुरु पद शीश धरें
मानवता के भाव धरें
हिंदू मुस्लिम सिख ईसाई
आपस में है, सब भाई भाई
अनेकता में एकता का नारा
लगता है हिंदुस्तान में
मैं हिंदुस्तानी हूं
यही मेरी पहचान है

नूतन लाल साहू

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