डाॅ० निधि त्रिपाठी मिश्रा

*##*अक्षय तृतीया* *विशेष:भगवान परशुराम** *महिमामृतम्*##*

 *दोहा-*
अक्षय तृतीया तिथि यही, त्रेता का आरम्भ ।
परशुराम के अवतरण, का है यह प्रारम्भ।। 

 *चौपाई-* 
शुक्ल दिवस बैशाख महाना,तृतीया तिथि अक्षय तुम जाना। 
प्रभु करि कृपा तुमहि पर  नाना, शुभ कारज सकल सिद्ध जाना।। 

पितु जमदग्नि कहै सुत न्यारा,  मातु रेणुका के चक्षु तारा।
श्री विष्णु आवेशावतारा,नामहि परशुरामअति प्यारा।।
 
परम वीर ओजस्वी जाना,गुण अरु कर्म क्षत्रिनहि समाना। 
वर पाये प्रभु शिव से नाना,विप्र पुत्र बन गये भगवाना।। 

मातु पितु भगत अति सुखराशी,हरिअवतार सदा अविनाशी। 
अन्त तक महेन्द्र गिरि वासी,त्रय युग से इह लोक निवासी।। 

शिव से मिलन गये इक बारा, श्री गणपति बाधा करि डारा।
मुनि रिसियाये किये प्रहारा,अस कपिल एकदन्त करि डारा।।

हैहय दुष्ट सकल कुल घाती,करि उत्पात फुलावै छाती। 
परशुराम उनके प्रतिघाती,एकइस बार बुझै कुल बाती।। 

बहुतहि शस्त्र-अस्त्र के ज्ञाता, द्रोण कर्ण को ज्ञान प्रदाता।
द्विज जन पर अनुरक्ति विशेषा,सदैव क्षत्रियों पर अति रोषा। 

पितु पर प्रेम अनत रखियाहीं, पितु करि आज्ञा सिर धरियाहीं। 
मातु शीश धड़ से बिलगाहीं, पितु सन मातु वरद मा पाहीं।।

 *दोहा-* 
परशुराम भगवान की ,महिमा बडी़ महान। 
विनती जो जन नित करें, ते पावे कल्यान।।

 *स्वरचित-* 
 *डाॅ०निधि त्रिपाठी मिश्रा* 
 अकबरपुर,अम्बेडकरनगर**

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