अशोक छाबरा

बात का क्या है बात तो बस बात है
तेरी बात मेरी बात 
मन की बात दिल की बात
दुख की बात खुशी की बात
राज की बात रोज की बात
कल की बात आज की बात
नई बात पुरानी बात
काम की बात फालतू बात
बात की बात बेबात की बात
बड़ी बड़ी बात बड़ी बात
छोटी छोटी बात छोटी बात
गर्व की बात शर्म की बात
मौके की बात बे मौके की बात
बच्चों की बात बड़ो की बात
दोस्ती की बात दुश्मनी की बात
घर की बात बाहर की बात
आम बात खास बात
अच्छी बात गन्दी बात
ये बातों का बाजार है
बातो का क्या 
कुछ करो तब भी बात
कुछ ना करो तब भी बात
बात तो बस बात होती है
बातो बातो मे निकल आती है बात
कभी शुरू नही होती है बात
तो कभी खत्म नही होती है बात
कभी एक ही होती है बात
तो कभी हो जाती है दो दो बात
छोटी छोटी बात बन जाती है जब बड़ी बात तो
बात का बतंगड़ भी बना देती है बात
कभी चलते चलते तो कभी
बैठ कर करनी होती है बात
बातो बातो मे जब करनी हो बात
तो इशारों मे कानाफूसियों में
तो कभी खामोशियों मे भी हो जाती है बात
सौ बात की एक बात
जो बात न होती तो 
कैसे होती बात
ये भी कोई बात है
चाहे जो भी होता
बात तो होती ही क्योकि
बात तो बस बात होती है।
अशोक छाबरा

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