नूतन लाल साहू

उत्साह

बीता समय बात हुई बासी
कुछ मुस्कुराएं,कुछ बतियाएं
अपने दोस्तों को,शुभ चिंतकों को
भेजते रहें, शुभ कामनाएं
अब ऐसा ही उत्साह मनाएं
अच्छा खैर
ये सब करें या न करें
तुम तो बस इतना ही कर दें
दिल में खाई सी खुद गई है
नफरत और पराएं पन की
उसमें ढ़ाई आखर प्रेम की
भर लें
अंत हो समाज से बुराइयों का
अब ऐसा ही उत्साह मनाएं
ये न समझो कि
बस तुम ही,दुखी हो
हर आदमी का अभी,दर्द बहुत बड़ा है
याद तो वही रहता है
जो आखिरी सांस तक लड़ता है
यदि कुछ उपाय न सुझें तो
मौन ही रख लें
तोड़ दें, मनहुसियत
अब ऐसा ही उत्साह मनाएं
ये कैसा वक्त आया है
वातावरण प्रदूषित हो गया है
आंखो तक का पानी
दूषित हो गया है
ए सी और कूलर में
खुलती नही खिड़किया
नीरस हो गई है जिंदगानी
बीता समय बात हुई बासी
कुछ मुस्कुराएं,कुछ बतियाएं
अपने दोस्तों को, शुभ चिंतकों को
भेजते रहें शुभ कामनाएं
अब ऐसा ही उत्साह मनाएं

नूतन लाल साहू

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