एकु तौ माधव मासु सुहावनु पाखु उजेरे कै नवमी हु आई।। बरिसु कैइव रहे बीति चुके मुला अम्बरू बूँद धरा नहि आई।। दूजे सोचु विचारू करैं मिथिलेशु हौ कौनी विधा परजा समुझाई।। भाखत चंचल मुनिवर याकु रहे मिथिलेशु उपाइ सुझाई।।1।। वसन नहि धारैं जौ आपु औ रानी औ दुइनो जना मिलि हलजौ चलाई।। वारिद देंय तौ बूँद धरा खुशहालु तबै पशु पक्षी बताई।। ख्यातु चुनाव करैं तबु मुनिवर राजा औ रानिहु कीन्हि जुताई।।। घटा धनघोर चढी़ चहुँ ओर औ चंचलु बूँद धरानु सुहाई।।2।।। जोततु खेतनु कै समयानु जौ फारू घडा़ मँहै जा टकराई।।। सुन्दरु शीलु सुशीलहू कन्या तबै धरनीनु ते बाहेरु आई।।। बारिसु होय झमाझम दशु दिशु तालु तलैया चलैं उफनाई।। भाखत चंचल माह ई माधव जनकसुता तबै सीता कहाई।।3।। राम के नामु का ध्यानु धरैंअरू रामहि नामु हियानु समाई।। बैशाख शुदा नवमीनु रही जबु राजा प्रजानु गयौ हरषाई।। चन्द्रकलानु बढै ई सुता औ स्वरूपु लिखतु उपमानु लजाई।। भाखत चंचल याही सिया जगजननी कही लक्ष्मीनु कहाई।।4।। आशुकवि रमेश कुमार द्विवेदी, चंचल।ओमनगर,सुलतानपुर, उलरा,चन्दौकी, अमेठी ,उ.प्र. ।। मोबाइल...8853521398,9125519009।।
"काव्य रंगोली परिवार से देश-विदेश के कलमकार जुड़े हुए हैं जो अपनी स्वयं की लिखी हुई रचनाओं में कविता/कहानी/दोहा/छन्द आदि को व्हाट्स ऐप और अन्य सोशल साइट्स के माध्यम से प्रकाशन हेतु प्रेषित करते हैं। उन कलमकारों के द्वारा भेजी गयी रचनाएं काव्य रंगोली के पोर्टल/वेब पेज पर प्रकाशित की जाती हैं उससे सम्बन्धित किसी भी प्रकार का कोई विवाद होता है तो उसकी पूरी जिम्मेदारी उस कलमकार की होगी। जिससे काव्य रंगोली परिवार/एडमिन का किसी भी प्रकार से कोई लेना-देना नहीं है न कभी होगा।" सादर धन्यवाद।
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