शुभा शुक्ला मिश्रा अधर

🌺 बुद्ध पूर्णिमा 🌺
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सत्य यही है कोटि यत्न कर,
        सब बुद्ध नहीं बन पाते हैं।
हे सिद्धार्थ! तुम्हारे सद्गुण,
      जग-जीवन को महकाते हैं।।

सुनो शांति के हे अन्वेषक!
         सदाचार के पालनकर्ता।
पोषक हो तुम शोषित जन के,
          करुणा सागर पीड़ा हर्ता।।
राजा-रंक मुदित मन होकर,
       आष्टांगिक पथ अपनाते हैं।।
हे सिद्धार्थ!तुम्हारे सद्गुण,
      जग-जीवन को महकाते हैं।।
         
सुन्दर सरल मधुर वाणी से,
       जीवन-दर्शन रहे सुनाते।
ईश शरण में हैै सुख सच्चा,
         ज्ञान बोध सबको करवाते।।
शांति क्षमा का भाव हृदय में,
         नित आकर स्वयं जगाते हैं।।
हे सिद्धार्थ! तुम्हारे सद्गुण,
       जग-जीवन को महकाते हैं।।

बुद्ध! तुम्हारे पग चिन्हों पर,
       चलना इतना आसान नहीं।
सुख-वैभव परिवार त्यागकर,
      शान्ति खोजना आसान नहीं।।
लोभ-मोह में रत ही मानव,
            निर्मोही तुम्हे बताते हैं।
हे सिद्धार्थ!तुम्हारे सदगुण,
       जग-जीवन को महकाते हैं।।

मोह जगत है मिथ्या जाना,
    शासक बनकर क्या है पाना?
दुखदायी नश्वर तन कबतक,
       चाहेगा यह साथ निभाना?
इन्हीं विचारों से आकुल हो,
    लघु मानव-मन कतराते हैं।।
हे सिद्धार्थ! तुम्हारे सद्गुण,
    जग-जीवन को महकाते हैं।।

सत्य यही है कोटि यत्न कर,
       सब बुद्ध नहीं बन पाते हैं।।
    

आप सभी को बुद्धपूर्णिमा की हार्दिक बधाई एवं असीम शुभकामनाएँl💞💐😊
आप आत्मीयजनों से अनुरोध है कोरोना को हराना है🔥तो कृपया जीवन-रक्षक निर्देशों का पालन अवश्य करें। सदैव शुभ हो।🙏🌹

   शुभा शुक्ला मिश्रा 'अधर' ❤️✍️

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