"काव्य रंगोली परिवार से देश-विदेश के कलमकार जुड़े हुए हैं जो अपनी स्वयं की लिखी हुई रचनाओं में कविता/कहानी/दोहा/छन्द आदि को व्हाट्स ऐप और अन्य सोशल साइट्स के माध्यम से प्रकाशन हेतु प्रेषित करते हैं। उन कलमकारों के द्वारा भेजी गयी रचनाएं काव्य रंगोली के पोर्टल/वेब पेज पर प्रकाशित की जाती हैं उससे सम्बन्धित किसी भी प्रकार का कोई विवाद होता है तो उसकी पूरी जिम्मेदारी उस कलमकार की होगी। जिससे काव्य रंगोली परिवार/एडमिन का किसी भी प्रकार से कोई लेना-देना नहीं है न कभी होगा।" सादर धन्यवाद।
▼
आशुकवि रमेश कुमार द्विवेदी चंचल
पावन मंच को मेरा सादर एवं सप्रेम प्रणाम, आज की रचना!! लालच!! का अवलोकन करें******* लालिचु नीकु रही ना कबौ जगु नाहिनु नीकि रही चतुराई!! दीन ईमानु तिलांजुलि दय दय लायौ घरा मंहय दौलतु भाई!! धाये बेमारी अजारी तमामु औ देइहौ ताहि बजार लुटाई!! भाखत चंचल गाढ़े पसीने कै दौलतु मांहि विकासु देखाई!! 1!! याहय तौ मुनि जनु संतु बतावतु बाति यहय इतिहासौ बताई!! खून पसीने कै पूजा करौ बेईमानी के ढिंग कबौ नहि जाई!! रूखै सूखा तै पेट भरौ मुल चाह ना रख्खौ तू रबडीं मलाई!! भाखत चंचल शीतल पानी है बेहतरू जौनु फ्रीजु तै लाई!! 2!! मेहनतु जौनु मिलै तोरी भागि रखु संतोषु भजौ रघुराई!! चूपरी देखि पराई जना नहि धारौ मना मंहय लालिचु भाई!! लेखी विधाता वहय मिलिहंय मुल देखि अंटारी मना बहराई!! भाखत चंचल काव कही धरि लालिचु ना धन पावहु सांई!! 3!! बेहतरू देखतु हैं पशु पक्षिऊ जिन्हैं नहि लालिचु कै अधिकाई!! ऊंचौ टंगौ अंगूर निहारि लोखरी कच्चौ कै भाव हू लाई!! छांडि़ हटी तहंवा तै वहौ अरू घूमत घामत मन बहराई!! भाखत चंचल रे मनुआ धिक्कार तुंहय मन लोभु ना जाई!! 4!! आशुकवि रमेश कुमार द्विवेदी चंचल!! ओमनगर सुलतानपुर उलरा चन्दौकी अमेठी उत्तर प्रदेश मोबाइल फोन**""8853521398, 9125519009!!
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें
अखिल विश्व काव्यरंगोली परिवार में आप का स्वागत है सीधे जुड़ने हेतु सम्पर्क करें 9919256950, 9450433511